WAH, Dr,Manoj..!
आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरी रचना “मित्रता की बेल” का भी अवलोकन करने की कृपा करें एवं यदि पसंद आए तो अपनी टिप्पणी देकर अनुग्रहीत भी करें। साभार।
उत्तम सोच से परिपूर्ण कहानी | आप मेरी कहानियाँ ” अफ़सोस” एवं ” मुस्कान लौट आई ” पर भी अपनी प्रतिक्रिया साझा करेंगे तो मुझे ख़ुशी होगी |
बहुत बहुत आभार ।
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धन्यवाद।
अति उत्तम! डॉ मनोज रस्तोगी जी….. बधाई!!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय
Sahityikmoradabad.blogspot.com
एक परिवार से सम्बन्धित सुंदर कहानी।
बहुत बहुत आभार ,आदरणीय
मन की चंचलता का बहुत बढिया चित्रण किया है..सच में रायता फ़ैल ही गया है !! उत्तम रचना !!