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आपका कहना उचित हैं परंतु कोई भी कुछ लिखता है वह अपने ज्ञान एवं तन-मन मे दबे शब्दों को स्वयं से भाव उत्पन्न कर लिखता हैं इसलिए किसी की रचना को बुरा कहना स्वमं को दोष ठहराना हैं.।
अच्छे कवि के पीछे कई साल का बुरा कवि होने का अनुभव जरूरी है “पत्थर पर चोट न पड़े, तो भगवान नही बनता”
मूर्तिकार प्रदर्शनी में चोट नहीं करता पत्थर पर। इस बात को समझना होगा।
बात सही है आपकी परंतु प्रदर्शनी में नजर नही नजरिये की बात होती है
Waah waah bahut bdhiya
?? लेकिन चकुंदर तो बहुत अच्छा और लाभदायक होता है।
आपका कहना उचित हैं परंतु कोई भी कुछ लिखता है वह अपने ज्ञान एवं तन-मन मे दबे शब्दों को स्वयं से भाव उत्पन्न कर लिखता हैं इसलिए किसी की रचना को बुरा कहना स्वमं को दोष ठहराना हैं.।