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उत्तम रचना जी. आप मेरी रचना ‘मौसम ने ली अंगड़ाई’ पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य साझा करें जी.
सुंदर अभिव्यक्ति ??सुंदर रचना, प्रणाम ??
मां ही है जो धरती पर मुझे लाई है। ममता उर में मां के ही समाई है। भूलने वाले भूल गए होंगे मां को, मां ने बेटे_ बेटियों के लिए सदा लोरियां गाई है।। सुंदर सृजन आदरणीय???
तह दिल आभार सर आपका
उत्तम रचना जी. आप मेरी रचना ‘मौसम ने ली अंगड़ाई’ पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य साझा करें जी.