मेरा गांव मेरा…..श्रीमन मैं भी गांव से हूं और गांव मेरे मन मस्तिष्क में समाया हुआ है, गांव ही मेरी पहचान को बनाए हुए है बावजूद इसके कि वर्षों से मैं गांव से दूर रहने को मजबूर हो गया, फिर भी मैं नियमित रूप से अपने गांव की माटी के दर्शन को आया जाया करता हूं। गांव का स्मरण कराने के लिए धन्यवाद!
बहुत धन्यवाद जी
बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी
बहुत धन्यवाद जी
गांव तो गांव है। वही असली छांव है।
बहुत आभार ‘कुमार’जी