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स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु आपका आत्मीय आभार आदरणीय!
जो भी गिले शिकवे हैं , मिल बैठ दूर करो , कुछ अपनी सुनाओ , कुछ आज मेरी सुनो , खामोश रहने से दिल और दिमाग़ जलते है , नाहक़ दो दिलों के बीच दूरियों को बनाते है , श़ुक्रिया !
स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु आपका आत्मीय आभार आदरणीय!