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बहुत ही सुंदर कविता लिखा है.आपने दीदी जी.?
हार्दिक आभार भाई
वक्त के दिन और रात , वक्त के कल और आज , वक्त की हर शै गुलाम , वक्त का हर शै पे राज , आदमी को चाहिए वक्त से डर कर रहे , कौन जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिज़ाज़ , श़ुक्रिया !
जी बहुत सुन्दर कहा आपने।हार्दिक धन्यवाद।
बहुत ही सुंदर कविता लिखा है.आपने दीदी जी.?
हार्दिक आभार भाई