कटु यथार्थ की संदेशपूर्ण प्रस्तुति !
धन्यवाद !
शुक्रिया!
पहली बार मिला है कोई व्यक्ति जिसने वास्तविकता को लिखा है अन्यथा सब के सब हिंदी की तारीफों के पुलन्दे बाँध ते रहते है और पीछे से केवल अंग्रेजी में ही रेंकते हैं।
भारत की सबसे बड़ी व्यथा यही है कि यहाँ के लोग बहुमुख बाले सांप है जो एक मुँह से खाते है ,दूसरे से दर्शन झाड़ते है,तीसरे से जूठ अत्यधिक जूठ और बेतुकी बातें करते है चौथे से चापलूसी करते है नेताओँ की और धनवान और औहदे बालों की और पांचवें से पत्नी बच्चो और मित्रों के सामने शेखियाँ बखानते है।
ये देश विदूषकों का है ।
धन्यवाद प्रशांत जी।
बहुत सुन्दर रचना आकाश जी सहीकहा.. शुभकामनाएं ? कृप्या मेरी रचना “कोरोना बनाम क्यों रोना” का भी अवलोकन करके अपना बहुमूल्य वोट देकर अनुगृहित करें ?
आज ही फिर प्रतियोगिता समाप्त है I ?
जी कर दिया मतदान?
बहुत ही सूंदर रचना कृपया मेरी रचना ,मत पूछो यारो ,कोरोना में कैसे दिन काट रहा हूँ का अवलोकन करे और अपनी वोट देने की कृपा करे आज वोट की अंतिम तिथि है ||