बहुत ही सूंदर चित्रण किया आपने सरकार में के बारे में | वास्तव में वह सब कुछ खा गयी। बाकि जो बचा है वह महंगाई खा गयी
जी बिलकुल सही कहा आपने. धन्यवाद.
बहुत सुंदर। मेरी रचना का भी अवलोकन करें।
जी धन्यवाद
अतिसुंदर कटु यथार्थ की व्यंगपूर्ण प्रस्तुति !
आपके लेखन शैली से मुझे क्रांतिकारी शायर जोश मलीहाबादी साहब की याद आ गई।
आपकी लेखन शैली मे उनकी शैली की झलक मिलती है।
कृपया प्रयास जारी रखें !
धन्यवाद !
धन्यवाद। मैं भी जोश मलीहाबादी जी को पढूँगा।
बहुत बढ़िया लिखा अजय जी। तारीफे काबिल। बधाई।
धन्यवाद
अति सुन्दर कविता अजय जी.. शुभकामनाएं ? कृप्या मेरी कविता “कोरोना बनाम क्यूँ रोना”का अवलोकन करें और अपना बहुमूल्य वोट देकर अनुगृहित करें ??
धन्यवाद
सत्य व सटीक रचना
धन्यवाद
बहुत ही सुंदर रचना