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आपके कथन से मैं सहमत हूं कि शायरी के नाम से ऊलजलूल प्रस्तुति इंटरनेट एवं सोशल मीडिया में की जा रही है। वह काव्य की निहित भावना का अपमान है। दरअसल हमारे देश में सार्थक जागरूकता की कमी है। जिसके फलस्वरूप उचक्के शायरों एवं कवियों की भरमार हो गई है जो लोगों की मानसिकता को दूषित कर रहे हैं। काव्य के प्रति समर्पित कवियों एवं शायरों को इसके विरुद्ध आवाज उठाकर काव्य जगत को इस संक्रमण से मुक्त करना होगा।

धन्यवाद !

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