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8 Jun 2020 06:56 AM

स्मृतियों की भूल भुलैया में जीवन अक्सर खो जाता है परन्तु जीवन एक निरन्तर प्रकिया है।इस अन्तर द्वन्द का प्रदर्शन शब्दों की तूलिका से मनोहारी रचना के माध्यम से किया है जिसमें अतीत की टीस तो है पर इतनी भी नहीं कि जिजीविषा को संकुचित कर सके।

पाठकों द्वारा साहित्योपीडिया में प्रथम स्थान पर सतत सम्मानित करने हेतु बधाइयां ।

8 Jun 2020 08:13 AM

Thankyou ji

बहुत बढ़िया लेखन……….दीया…..न कि दिया।Edit Please

2 Jun 2020 02:17 PM

कर दिया,,,, dhanyawad जी

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