मृग्तृष्णा ही जिजीविषा है,जीवन मे आगे बढ्ने की ललक है, जीवित रहने के लिये संसाधन जुटाने शरीर के सभी अंगो का प्रयोग।
पाठकों के साथ एक सुरीला संवाद ,जीवन पथ का समग्र दर्शन। हालांकि मैं आपकी तरह विद्वान नही पर मृग्तृष्णा के स्थान पर मृग मरीचिका ज्यादा उचित होता।
सादर अभिवादन
Ok ji,,, thanks
नई रचनाओं की प्रतीक्षा है।
जीवन संघर्ष को व्यक्त करती हुई सुंदर प्रस्तुति।
धन्यवाद !
Bahut bahut dhanyawad
वाह ,क्या कहने
Dhanyawad ji