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वाह एक और सम्वेदनशील रचना । विपत्ति में आए लोगो के प्रति सहानभूति का हाथ एक वरदान से काम नहीं होता।
स्वागत
घुट जाती हैं सिसकियाँ सब आंसू सूख जाते हैं …..
बुरा वक्त आता है जब सब साथ छोड़ जाते हैं…..
हर रचना को ध्यान से pdhna और प्रतिक्रिया देना….बहुत बहुत धन्यवाद
सामाजिक यथार्थ के मर्म को प्रकट करती हुई दिल को छू जाने वाली प्रस्तुति । आपकी अपरिमित काव्य लेखन विधा सराहनीय है ।
धन्यवाद !
Thanks for inspiration
वाह एक और सम्वेदनशील रचना ।
विपत्ति में आए लोगो के प्रति सहानभूति का हाथ एक वरदान से काम नहीं होता।
स्वागत
घुट जाती हैं सिसकियाँ
सब आंसू सूख जाते हैं …..
बुरा वक्त आता है जब
सब साथ छोड़ जाते हैं…..
हर रचना को ध्यान से pdhna और प्रतिक्रिया देना….बहुत बहुत धन्यवाद