बहुत ही सुंदर भाव और रचना ।बधाई ।
मत स्वीकार करें और मेरी कविता पढ़ कर मत देकर कृतार्थ करें ।?
maine pehale hi aapki rachna ko vote kar diya hai
धन्यवाद
बहुत ही सुंदर रचना सर, 13वा वोट मेरा है।
आपका बहुत बहुत शुक्रिया
मां तो वास्तव में ही एक वटवृक्ष है जिसके पास अपने बच्चों के लिए अनन्त उपहार है । आपके उद्गारों को नमन । वोट तो देना ही था
हौसला आफजाई के लिए आपका धन्यवाद श्रीमान.
निशब्द…….
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आपका धन्यवाद
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वाह वाह वाह… नमन हे मातृ शक्ति को। वोट भी है गया आदरणीय
आप की रचना वहुत हीं स्तरीय है, आपसे सिखने का अवसर मुझे मिल पाया है, आपका धन्यवाद
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अति सुंदर रचना मेरा वोट आपको और आग्रह है कि मेरी रचना को भी पढो और आपका मत पड जाय तो आपका आभारी हूँगा।
आपके रचना को वोट भी किया हूँ
सुंदर रचना ?
कृपया मेरी रचना भी पढ़े, यदि पसंद आए तो आप भी मुझे वोट दें ?
आपके रचना को वोट भी किया हूँ
अति सुंदर
कृपया अाप भी वोट रुपी आशीर्वाद प्रदान करें मेरा कविता माँ को
आप से प्रेरित हुआ. आपके रचना को वोट भी किया हूँ
वाह! बहोत ही उम्दा रचना।।
मेरा भी मत आपको स्वीकार हो, तथा आग्रह की अगर मेरे भी रचना पर आपकी कुशल दृष्टि व मत पड़ जाए तो कृतार्थ होऊं।।?।।
बहुत बहुत धन्यवाद. मै आपके रचना को अवश्य पढूंगा.
बहुत सुन्दर लिखा है
बहुत बहुत धन्यवाद मंदीप जी, अगर रचना अच्छी लगी तो वोट अवश्य करें.
आपकी रचना पढ़ी बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने अतः आपको अपना वोट देता हूँ। परन्तु कुछ त्रुटि सुधार करें तो उचित होगा। जैसे माँ, धरती और अम्बर का तुम ही तो रानी है, पँक्ति में स्त्री और पुलिंग में मतभेद है, ऊँ कार है में ओंकार लिखें , कई मात्रा की त्रुटियाँ हैं जिसे आप स्वयं मंथन करें ,इसे अन्यथा न लें ! स्नेह ‘एकलव्य’
एकलव्य जी, मैं मानता हूँ कि आप जैसे दोस्त आगे बढ़ने में सहायक होते हैं, आप बिना संकोच सारे सुधारों को संज्ञान में लायें. आपका शुक्रिया दोस्त. साभार मिथिलेश कुमार शांडिल्य
बहुत ही सुन्दर, मेरा मत स्वीकार करें। कृपया मेरी कविता ए माँ तेरा आँचल को भी पढ़ें एवं अपने मत देकर कृतार्थ करें
आपका शुक्रिया, मत दिया है आपकी रचना को