कलपना जी ।
आपको मैंने काफी दिन पहले वोट किया था ।
आदरणीया आप भी मेरी कविता”माँ केवल माँ “
पढने और वोट करने के लिए आमंत्रित हैं ।
आपके वोट के इंतजार में ?
आशा है मेरे वोट से आपको प्रोत्साहन जरूर मिलेगा | कृपया मेरी “माँ ” पर लिखी रचना आप जरूर पढ़ें व अपने सुझाव दें |
जी जरूर,,, वोट कर दिया
मेरा 703 वां वोट आपको। आप भी मुझे वोट करें
Mind blowing 697 vote
Fabulous friend
बहुशोभनम् इदं लेखः।।
Jo Shirr firey hote h,
Wahi itihaas likhate h.!
Samajhdaar log tho sirf..
Unke bare me Padhatey hai.!!
Tu jindgi ko ji,
Uuse smjhne ki kosis na kar,
Sundar sapno k tane bane bunn,
Uusme ulajhne ki kosis na kr..
Prsansa ki bhukh…
Aayogyataa ki Prichayak h.!
Kabliyat ki tariff tho..
Virodiyo k dil Se bhi nikalti hai.!!
647 वां वोट आपको बहुत बहुत बहुत सुंदर लेख हैं आपका
642 वां वोट स्वीकार करे अगर हमारी कविता अच्छी लगे तो वोट करने कज कृपा करें
जी जरूर
बहुत सुंदर सृजन
Voted for you please vote for me
वाहहहहहहहहह लाजबाब रचना पर वोट सहर्ष स्वीकार करें
आदरणीय कृपया मेरी रचना पर भी अपनी दृष्टि डाले और वोट कर कृतार्थ करे
Very nice…..??
Please vote me I also vote to you
बहुत सुंदर काव्य रचना ?
‘मां’ के लिए कुछ पंक्तियां मेरी ओर से
माँ कुदरत की देन है, माँ ममता की रूप ।
दुर्गा अम्बे कालिका, माँ है देवी स्वरुप ।।
बहुशोभनम्, धन्यवाद: ?