Comments (34)
3 Feb 2019 01:02 PM
देवी जी सर्वप्रथम आपको मेरा नमन! मैं आज शब्दविहीन क्या कहूँ ? मानो हृदय का स्पन्दन रुक गया हैं एवं आत्मा स्थिर हो गयी हैं! बस आज इतना ही कहूँगा माँ शब्द मे तो पूरा ब्रहमाण्ड समाहित हैं!
मैं तो पत्थर हूँ , मेरे माता-पिता शिल्पकार हैं !!
31 Dec 2018 11:32 PM
हृदयविदारक रचना पढ़ कर रोक न पाई अश्रु की धारा
22 Dec 2018 03:37 AM
मार्मिक ।वास्तविकता से परिपूर्ण
10 Nov 2018 08:41 AM
Plz vote me too
10 Nov 2018 08:41 AM
Nice penning
10 Nov 2018 08:27 AM
हृदयस्पर्शी रचना है महोदया. मेरी रचना , “हे माँ, तुम्हें नमन हैं”, पर अपना सुझाव दे और अच्छी लगी तो अपना वोट अवश्य दें
19 Jul 2016 11:01 AM
वाह बहुत सुंदर
शब्द विहीन स्पदन् मार्मिक रचना