आपको शायद मेरे भाव अच्छे नहीं लगे, तभी आपका वोट नहीं आया… महोदय.. रचनाकार नहीं रचना प्रशंसा पाती है, भाव पाते हैं… वोट तो मात्र स्नेह प्रदर्शन का मार्ग होते हैं, बाकी शब्द ही शाश्वत अखंड ॐकांर प्रणवाक्षर होते हैं…सादर…..एक बार धृष्टि जरूर डाले कदाचित मेरे भाव आपको पसंद आये…
जा चुकी थी मां भी….. 35 वा वेट दिया है… अच्छी कवित्व भाव के लिये बधाई, मेरी कविता पर भी वोट करने का कष्ट करे…
bahut hi umda. Be blessed. 34 th vote from my side
बेहद मार्मिक रचना ।
बहुत सुंदर
भावपूर्ण अभिव्यक्ति बहुत सुंदर वोट स्वीकार करें और मेरी कविता पढ़ कर वोट देने योग्य हो तो वोट देकर कृतार्थ करें
Dil bhar aya apki kavita padhker…bachche apni maa ko sada jahil hi samjhte h sada..lakin wo mamta k mare chup rehti h sada.
जा चुकी थी माँ भी तब,बिन कफ़न ओढ़कर, हाय! दिखावे का लबादा मैंने ढोया बहुत, मुझे देख, माँ की हड्डियों का ढांचा रोया बहुत, रोया बहुत…! बेहतरीन सर… हृदयविदारक . आपके योरकोट प्रोफाइल में लिंक देखा… प्रभावशाली रचना सर के लिए शुभकामनाएँ। वोट 30
बहुत ही शानदार कविता सर..
वाहह बेहतरीन रचना को मेरा सहर्ष वोट|मेरी रचना को भी कृतार्थ करें
१९#वोट मेरा आपको आप भी मुझे कृतार्थ कीजिए
सबसे अलग शीर्षक दिया है आपने ।
मार्मिक कविता ।
मेरी कविता पढ़कर मुझे अनुग्रहित करें ।
आदरणीय आपकी मार्मिक रचना सराहनीय है कृपया आप हमें वोट करने की कृपा कीजिए रचनाकार नहीं कोई भी रचना बड़ी होती है और माॅ से जैसे विषय पर लिखी रचना को आपका प्रोत्साहन मिलना जरूरी है विनम्र निवेदन कृपया अपने वोट का आशीर्वाद प्रदान करें। आशा है आपका वोट अवश्य प्राप्त होगा धन्यवाद आदरणीय ‘‘बस तेरा ही जयकारा है’’
बेहद मार्मिक।
आपकी रचना पर 7 वा वोट मेरा।
कृप्या मेरी कविता भी पढ़े और यदि आपको पसंद आए तो वोट जरुर करें ?
36 वां वोट स्वीकार करें आ0 सुन्दर लेखन आ0…