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Comments (28)

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5 Nov 2018 04:29 PM

Friend plz vote me too.mujhe b jarurat h

आपकी रचना पढ़ी बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने अतः आपको अपना वोट देता हूँ। परन्तु कुछ त्रुटि सुधार करें तो उचित होगा। जैसे लज्ज़त लिखें ,नुक्ता सम्बन्धी और भी कई मात्रा की त्रुटियाँ हैं जिसे आप स्वयं मंथन करें ,इसे अन्यथा न लें ! स्नेह ‘एकलव्य’

4 Nov 2018 11:13 AM

आपका बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ जी आपकी सलाह मायने रखती है।
टंकण सम्बन्धी सुधार कर दिया गया।
जी फिर से बहुत बहुत शुक्रिया!
?

स्वागत है ! VOTED

सरलता की अद्भुत शक्ति का एहसास कराती रचना में माँ की विराट महिमा का ख़ूबसूरत ज़िक्र है।

शुभकामनाऐं।

VOTED.

टंकण सम्बन्धी त्रुटियों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा ताकि रचना में और अधिक निखार आ जाय –

1. इक़ = इक (नुक़्ता हटाइये)

2. दुनियां = दुनिया

3. बरक़त = बरकत

आप अच्छा लिखते हैं इसलिये मैंने ऐसी टिप्पणी लिखने की हिम्मत की है शायद आपको अच्छी लगे।

4 Nov 2018 11:16 AM

जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
आपने जिस ढंग से रचना को सराहा उसके लिए और आपके समर्थन के लिए तहेदिल से शुक्रयादा करता हूँ।
सुभेच्छा शुभकामनाएं!
?

4 Nov 2018 11:17 AM

जी आपके कीमती वोट के लिए सदैव आभारी रहेंगे।
?

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