Comments (28)
4 Nov 2018 01:55 AM
आपकी रचना पढ़ी बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने अतः आपको अपना वोट देता हूँ। परन्तु कुछ त्रुटि सुधार करें तो उचित होगा। जैसे लज्ज़त लिखें ,नुक्ता सम्बन्धी और भी कई मात्रा की त्रुटियाँ हैं जिसे आप स्वयं मंथन करें ,इसे अन्यथा न लें ! स्नेह ‘एकलव्य’
3 Nov 2018 10:35 PM
सरलता की अद्भुत शक्ति का एहसास कराती रचना में माँ की विराट महिमा का ख़ूबसूरत ज़िक्र है।
शुभकामनाऐं।
VOTED.
टंकण सम्बन्धी त्रुटियों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा ताकि रचना में और अधिक निखार आ जाय –
1. इक़ = इक (नुक़्ता हटाइये)
2. दुनियां = दुनिया
3. बरक़त = बरकत
आप अच्छा लिखते हैं इसलिये मैंने ऐसी टिप्पणी लिखने की हिम्मत की है शायद आपको अच्छी लगे।
Friend plz vote me too.mujhe b jarurat h