Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account

एक अन्तहीन प्रश्न की तरह सुख और दुःख समेटे हुए।कभी प्रेम की कसमें खाती कभी निष्ठुर होकर उन्हे तोड़ती। सच्चे प्रेम की परिभाषा को झुठलाती छलावा लगती ये ज़िन्दगी। कभी आत्मज्ञान से यथार्थ को परिभाषित करती यह ज़िन्दगी ।
धन्यवाद !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
28 Dec 2019 11:26 PM

रचनाके मूल भाव को समझने का हार्दिक धन्यवाद

Loading...