नोटबंदी के कुछ तात्कालिक असर बयां करने में आप सफल रहे हैं। लेकिन 5-6वे शे’रों में “अपवाद” को क्यों “नियम” मान लिया – समझ से परे है। मैं अपने अनुभव से कह सकता हूँ, किसी भी और मशीनरी पर यह अगर जिम्मेदारी होती तो आज “कुछ और” दृश्य होता। इस मुद्दे पर आप भटक गए लगते है। प्रार्थना करता हूँ, अपने बनाए प्रतिमान से नीचे न आएं।
नोटबंदी के कुछ तात्कालिक असर बयां करने में आप सफल रहे हैं। लेकिन 5-6वे शे’रों में “अपवाद” को क्यों “नियम” मान लिया – समझ से परे है। मैं अपने अनुभव से कह सकता हूँ, किसी भी और मशीनरी पर यह अगर जिम्मेदारी होती तो आज “कुछ और” दृश्य होता। इस मुद्दे पर आप भटक गए लगते है। प्रार्थना करता हूँ, अपने बनाए प्रतिमान से नीचे न आएं।