दुःख है, बच्चों पर नहीं , जो उन्हें बिगाड़ रहे उन पर ,,, मैं आपके अति उत्तम विचारों से सहमत हूं ,, और मैं यही बात करती हूं ,,क्यों अकेले रहने लगे हैं लोग ,,, मृत्यु के लिए भी चार कंधों की जरूरत होती है , मगर अब कंधों की चाहत ,, गाड़ी में डालकर पहुंचा दिया जाता है । बच्चों के माता पिता को समझना होगा ,,
दुःख है, बच्चों पर नहीं , जो उन्हें बिगाड़ रहे उन पर ,,, मैं आपके अति उत्तम विचारों से सहमत हूं ,, और मैं यही बात करती हूं ,,क्यों अकेले रहने लगे हैं लोग ,,, मृत्यु के लिए भी चार कंधों की जरूरत होती है , मगर अब कंधों की चाहत ,, गाड़ी में डालकर पहुंचा दिया जाता है । बच्चों के माता पिता को समझना होगा ,,