Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account

कोई भी देश हो बिना किसान के जीवन की कल्पना ही नही कर सकती है। ये हकीकत जानते हुए भी किसानों की दुर्दशा दिन ब दिन खराब होती जा रही है। यह एक सुनियोजित कार्यक्रम की तरह लगती है। कि हमारे देश के धनाढ्य लोग जिन्होंने शासकों पर कब्जा जमा रखा है वे कभी भी किसानों की स्थिति समान्य नही होने देना चाहते हैं। जिससे की एक दिन विवश होकर किसान इन्ही धनाढ्य लोगो को अपना जमीन लीज पर देने के मजबूर होना पड़े।
आपने अन्नदाता की दुःख पीड़ा को अपने लेखनी में जगह देकर एक खूबसूरत उपन्यास का रूप दिया इसके लिए सादर बधाई आपको…आपकी कलम इसी तरह असहाय लोगों की लाठी बनकर उन्हें सबल प्रदान करती रहे…इसी आशा और विश्वास के साथ आपको पुनः बधाई…

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...