कुंडलिया यज्ञशाला में भी एक आहुति स्वीकारें।
कुंडलिया लिख लें सभी, रख कुछ बातें ध्यान। दोहा रोला जोड़ दें, इसका यही विधान।। इसका यही विधान,आदि ही अंतिम आये। उत्तम रखें तुकांत, हृदय को अति हरषाये।। कहे ‘अमित’ कविराज, प्रथम दृष्टा यह हुलिया। शब्द चयन है सार, छंद अनुपम कुंडलिया।।
कन्हैया साहू ‘अमित’
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बहुत सुंदर
कुंडलिया यज्ञशाला में भी एक आहुति स्वीकारें।
कुंडलिया लिख लें सभी, रख कुछ बातें ध्यान।
दोहा रोला जोड़ दें, इसका यही विधान।।
इसका यही विधान,आदि ही अंतिम आये।
उत्तम रखें तुकांत, हृदय को अति हरषाये।।
कहे ‘अमित’ कविराज, प्रथम दृष्टा यह हुलिया।
शब्द चयन है सार, छंद अनुपम कुंडलिया।।
कन्हैया साहू ‘अमित’