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2 Jul 2021 11:11 AM

मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण आपका संस्मरण! मानवीय संवेदनाओं के लिए आपके मन मस्तिष्क में इतना तो है,अन्यथा आज कल तो संवेदनाएं व्यक्त करने का भी चलन घट रहा है! सादर

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Jaikrishan Uniyal जी आपका समय देने के लिए बहुत आभार!! आपको सादर प्रणाम। आपके शब्द मात्र टिप्पणी नहीं है मेरे लिए। आपने आशीष वचनों से मेरा उत्साह वर्धन तो किया ही है साथ ही मेरे लेखन को और भावनाओं को मान भी दिया है। मैं कृतज्ञ हूं ?

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