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बरसात , में लिखना बाकी है,
बसंत अभी आनी है,
मानसून तो कुछ दिन बाकी है,
मन की सिलाही भरी पड़ी है,
मैदान में जंग छिड़ी पड़ी है,
कुछ एक खिलाड़ी ‘वॉर्म अप ‘,
कुछ एक खेल चुके है,
८०० के ऊपर लिख चुका,
बस इतनी सी बात मनवानी है,
मैं तो आप का स्नेही हूं,
यहीं गुज़ारिश रही हैं,
बनी रहे आपका आशीर्वाद।
धन्यवाद

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