हमारे देश में धर्म , संप्रदाय , एवं जातियता की जड़ेंं मजबूती से अस्तित्व में हैं , जिन्हें अंतर्जातीय एवं अन्तर्संप्रदाय विवाह से नष्ट करना अत्यंत दुष्कर है। हमारे देश में धर्म एवं संप्रदाय का अस्तित्व आदिकाल से चला आ रहा है , और हमारे जीवन का एक प्रमुख अंग बन चुका है। अतः आपके विचार का निष्पादन व्यवहारिकता से परे है। जिस देश के समाज में अंतर्जातीय विवाह एवं अंतर्संप्रदाय विवाह को हेयदृष्टि से देखा जाकर घोर विरोध किया जाता है , उस समाज में इस तरह समाज सुधार केवल एक परिकल्पना मात्र सिद्ध होगा।
यह एक कटु सत्य है ।
हमारे देश में धर्म , संप्रदाय , एवं जातियता की जड़ेंं मजबूती से अस्तित्व में हैं , जिन्हें अंतर्जातीय एवं अन्तर्संप्रदाय विवाह से नष्ट करना अत्यंत दुष्कर है। हमारे देश में धर्म एवं संप्रदाय का अस्तित्व आदिकाल से चला आ रहा है , और हमारे जीवन का एक प्रमुख अंग बन चुका है। अतः आपके विचार का निष्पादन व्यवहारिकता से परे है। जिस देश के समाज में अंतर्जातीय विवाह एवं अंतर्संप्रदाय विवाह को हेयदृष्टि से देखा जाकर घोर विरोध किया जाता है , उस समाज में इस तरह समाज सुधार केवल एक परिकल्पना मात्र सिद्ध होगा।
यह एक कटु सत्य है ।
धन्यवाद !