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सरकार इतना शर्मिंदा ना करो ,हमने आपकी कविता को लोकतान्त्रिक प्रणाली से मिले अधिकार के अनुरूप वोट कर चुके हैं । आप लोग बगैर सारणी देखे दूसरे पर आक्षेप लगा देते है शायद यही एक कारण हो सकता है कि भारतीय संविधान में गुप्त मतदान की व्यवस्था की अन्यथा आप से चंचल स्वाभाव के नागरिक अब तक भारत की जनसंख्या आधी कर चुके होते ।

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