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नहीं बंधुवर चूक नहीं यह मेरे मध्यप्रदेश के कतिपय बैंकर्स का हाल बयाँ किया गया है , अधिकाँश बैंकर्स तो मेरी दृष्टि में आज भी उचित प्रतीत होते हैं , मैं नोट-बंदी का भी विरोधी नहीं हूँ , मैंने तो महज़ इस प्रदेश की व्यवस्था ने जिस तरह इस पुनीत काम में भी भ्रष्टाचार का मार्ग निकालकर ग़रीबों को अनावश्यक परेशान कर दिया तो ये लेखनी वरवश चल पड़ी ।
फिर भी मैं पुन: विचार करूँगा ।

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