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श्रीमान जयकिशन उनियाल जी,
जैसा कि आपने कहा कि यह त्रासदी हमें झेलनी पड़ेगी लेकिन महोदय त्रासदी की एक समय सीमा होती है और एक समय के बाद वह समाप्त हो जाता है और जब त्रासदी समाप्त न होने वाला हो या समाप्ति की कोई आस ना हो वैसे स्थिति में वह त्रासदी विनाश और सर्वनाश का एक ऐसी रूप धारण कर लेगी जिसमें हम आप और सभी लपेटे जाएंगे।
खैर जब न्यायपालिका ही भ्रष्ट हो तो उनसे न्याय की आशा और उम्मीद नहीं की जा सकती।

खैर मेरी तरफ से धिक्कार है न्यायपालिका के ऐसे सिस्टम को,

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