श्रमजीवियों की बेकद्री ने ही इस देश को अबतक विकासशील बना रखा है और मुद्रा को कमजोर। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था श्रमजीवियों के उत्पादन से ही मजबूत हो सकती है। सकल घाटे को सकल मुनाफे में केवल श्रमजीवियों की बदौलत ही बदला जा सकता है। मंदी आम आदमी की जेब में पैसा आने से ही खत्म होगी।
श्रमजीवियों की बेकद्री ने ही इस देश को अबतक विकासशील बना रखा है और मुद्रा को कमजोर। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था श्रमजीवियों के उत्पादन से ही मजबूत हो सकती है। सकल घाटे को सकल मुनाफे में केवल श्रमजीवियों की बदौलत ही बदला जा सकता है। मंदी आम आदमी की जेब में पैसा आने से ही खत्म होगी।