पहली बार मिला है कोई व्यक्ति जिसने वास्तविकता को लिखा है अन्यथा सब के सब हिंदी की तारीफों के पुलन्दे बाँध ते रहते है और पीछे से केवल अंग्रेजी में ही रेंकते हैं।
भारत की सबसे बड़ी व्यथा यही है कि यहाँ के लोग बहुमुख बाले सांप है जो एक मुँह से खाते है ,दूसरे से दर्शन झाड़ते है,तीसरे से जूठ अत्यधिक जूठ और बेतुकी बातें करते है चौथे से चापलूसी करते है नेताओँ की और धनवान और औहदे बालों की और पांचवें से पत्नी बच्चो और मित्रों के सामने शेखियाँ बखानते है।
ये देश विदूषकों का है ।
पहली बार मिला है कोई व्यक्ति जिसने वास्तविकता को लिखा है अन्यथा सब के सब हिंदी की तारीफों के पुलन्दे बाँध ते रहते है और पीछे से केवल अंग्रेजी में ही रेंकते हैं।
भारत की सबसे बड़ी व्यथा यही है कि यहाँ के लोग बहुमुख बाले सांप है जो एक मुँह से खाते है ,दूसरे से दर्शन झाड़ते है,तीसरे से जूठ अत्यधिक जूठ और बेतुकी बातें करते है चौथे से चापलूसी करते है नेताओँ की और धनवान और औहदे बालों की और पांचवें से पत्नी बच्चो और मित्रों के सामने शेखियाँ बखानते है।
ये देश विदूषकों का है ।