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आदरणीय अमरेश मिश्र ‘सरल’ आपकी कृपा नहीं हुई। हमें तो आपकी रचना काफ़ी भई….. हमने आपको वोट भी किया। शायद आपको हमारी रचना “कोरोना दोहा नवमी” पसन्द नहीं आयी…. अन्यथा आप अपने बहुमूल्य वोट से ख़ाकसार को वंचित न रखते।

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महोदय आपको वोट शाम तक करते है

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