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भाई प्रशांत सोलंकी जी अच्छी और दमदार रचना के लिए वोट माँगना कोई गुनाह नहीं है। दुःख तो तब होता है जब रचनाओं का चयन महज़ वोट और उनपर दिए कमैंट्स और लाइक से होता है। आधे से ज़ियादा कवि ऐसे हैं जिन्हें छन्द का ज्ञान भी नहीं है और न ही उन्होंने छन्दमुक्त के महान कवियों को पढ़ा है। कभी फ़ुरसत मिले तो ‘पाश’, ‘अदम गोण्डवी’, ‘दुष्यन्त’, व ग़ालिब को गहराई से पढ़ना। तब जाकर हम कुछ कुछ कविता, ग़ज़ल को समझे हैं। एक विचार था जो व्यक्त किया कृपया अन्यथा न लें। धन्यवाद।

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पंजाबी कवि पाश को ज़रूर पढ़ें। बड़ा ही तीखे तेवर वाला कवि था। उसी तर्ज़ पर आगे बढ़ेंगे तो काव्य की नई उच्चाइयाँ छू लेंगे। उनको पढ़कर लगता है जैसे काग़ज़ पर ज्वालामुखी विस्फोट के बाद लावा बह रहा हो। वो छन्द मुक्त कवि ही थे। धन्यवाद! सार्थक बहस करते रहे और मार्गदर्शन करते रहे। नीचे अवतार सिंह सिंद्धू “पाश” की एक कविता आपके लिए

// सबसे ख़तरनाक // ( कवि: पाश ) मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती / पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती / ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है / सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है सबसे ख़तरनाक नहीं होता / कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है / जुगनुओं की लौ में पढ़ना / मुट्ठियां भींचकर बस वक्‍़त निकाल लेना बुरा तो है / सबसे ख़तरनाक नहीं होता सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना / तड़प का न होना / सब कुछ सहन कर जाना / घर से निकलना काम पर / और काम से लौटकर घर आना सबसे ख़तरनाक होता है / हमारे सपनों का मर जाना / सबसे ख़तरनाक वो घड़ी होती है / आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो / आपकी नज़र में रुकी होती है सबसे ख़तरनाक वो आंख होती है / जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्‍बत से चूमना भूल जाती है / और जो एक घटिया दोहराव के क्रम में खो जाती है / सबसे ख़तरनाक वो गीत होता है / जो मरसिए की तरह पढ़ा जाता है / आतंकित लोगों के दरवाज़ों पर / गुंडों की तरह अकड़ता है / सबसे ख़तरनाक वो चांद होता है जो हर हत्‍याकांड के बाद / वीरान हुए आंगन में चढ़ता है / लेकिन आपकी आंखों में / मिर्चों की तरह नहीं पड़ता

सबसे ख़तरनाक वो दिशा होती है / जिसमें आत्‍मा का सूरज डूब जाए / और जिसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा / आपके जिस्‍म के पूरब में चुभ जाए

मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती / पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती / ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती ।

इस पंजाबी कवि को महज़ 38 साल की उम्र में आतंकवादियों ने खेत में ही गोलियों से छलनी करके मार दिया था। इनके ३ काव्य संकलन हैं। कभी वक़्त मिले तो पढियेगा।

मैं आपका शुक्रिया करता हूँ , उत्तरांचलजी ।
मुझे तो लगा था कि आपकी तरफ से गालियों के राफेल आएँगे और मुझे जिहादी बनादेंगे ।
पर आपने तो कबूतर की चोंच में अद्भुद कवि रचना ही भेज दी ।

बहुत बहुत धन्यवाद सर ।

एक ने कही दूजे ने मानी। नानक कहे दोनों ज्ञानी।।
पाश की एक छोटी कविता और आपके लिए:—
(‘संविधान”—कवि पाश)
संविधान / यह पुस्‍तक मर चुकी है / इसे मत पढ़ो
इसके लफ़्ज़ों में मौत की ठण्‍डक है / और एक-एक पन्‍ना / ज़िन्दगी के अन्तिम पल जैसा भयानक / यह पुस्‍तक जब बनी थी
तो मैं एक पशु था / सोया हुआ पशु / और जब मैं जागा / तो मेरे इन्सान बनने तक / ये पुस्‍तक मर चुकी थी / अब अगर इस पुस्‍तक को पढ़ोगे / तो पशु बन जाओगे / सोए हुए पशु ।

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