एक और सुन्दर कविता । समाज की समस्या के प्रति पीड़ा वेदना तथा सम्वेदनाएँ । दस्तूरों के प्रति विद्रोह तथा यथार्थ में अकेले कर पाने में असमर्थता। इतने सहृदय स्वभाव हेतू कवयित्री को बधाई । कौन कह सकता है कि विज्ञान की प्राध्यापिका हैं।
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Thanks ji
पुन पड़ने पर किसी अपने के बिछुडने या जीवन संसार छोड़ने की वेदना प्रतीत होती है
कुछ पीड़ाये सदैव के लिये होती है ,कभी नही जाती।
Ji Shi smjha
एक और सुन्दर कविता ।
समाज की समस्या के प्रति पीड़ा वेदना तथा सम्वेदनाएँ ।
दस्तूरों के प्रति विद्रोह तथा यथार्थ में अकेले कर पाने में असमर्थता।
इतने सहृदय स्वभाव हेतू कवयित्री को बधाई ।
कौन कह सकता है कि विज्ञान की प्राध्यापिका हैं।