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7 Jan 2023 · 1 min read

मेंटल

अब मैं इतना भी नादान नही,
तुम बनाती रहो और मैं बनता रहुं।
अरे पगली, मैं तरस खाता था तुमपे ,
तुम्हें क्या लगा? मेंटल है साला।।
मैं हंसाता रहा बातें बनाकर,
तुम जोकर ही समझ बैठी।
डाक्टर ने कहा था तुम्हें,खुश रखने को,
तुम्हें क्या लगा मेटल है साला।।
क्या थे तुम जो, इतनी तरजीह दी,
अपनी जीगर और जीगर दी।
बदले में तुमने धोखा, बेवफाई,
तुम्हें क्या लगता मेंटल है साला।।
आईने में खुद को देखो तुम,
वक्त निकाल कर रोज।
जीतने बनते हो ना,उतने हो नही,
उल्टे हमें ही मेंटल है साला।।
स्वरचित:-सुशील कुमार सिंह “प्रभात”

Language: Hindi
1 Like · 201 Views
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