लफ्जों के जाल में उलझा है दिल मेरा,
सामाजिक कविता: बर्फ पिघलती है तो पिघल जाने दो,
बेख़्वाईश ज़िंदगी चुप क्यों है सिधार गयी क्या
के अब चराग़ भी शर्माते हैं देख तेरी सादगी को,
#ਚਾਹਤ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
बुंदेली दोहा-मटिया चूले
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सितारे हरदम साथ चलें , ऐसा नहीं होता
Love is not about material things. Love is not about years o