Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Oct 2021 · 4 min read

पिता 3( गतांक 2 स आगा अंतिम)

___________________________
दू नू भाई बहिन 3BHKफ्लैट किराया लेलक, आधुनिक सुख सुविधा के सभ समान छलै,शीला ब्रह्ममूहूर्त मे जागि के पूजा पाठ क दूनू ले नास्ता आ लंच तैयार क दै,तखन चाय बना क दूनू के जगवै।
चाय पीना काल शीला कहलकै तू दूनू जखन ड्यूटी पर चलि जाइ छै एसगर घर काट दौडैत अछि।नव नगर केकरो चिन्हवो नहि करैत छियै,अगल बगल के लोक हरदम दरवाजा बंदे खेने रहैत अछि,सर संबंधी सभ सेहो जे छथि से सभ कत छथि किछु नहि बुझैत छियै।भरि दिन कतेक टी वी देखू।कतेक किताब पढू,की करू मोन होइत अति तीस हजारी चलि जाऊं और फेर स अपन काज शुरू करि,पाई लेल नहि अपना के व्यस्त रखवा लेल।दूनू भाई बहिन के संगे बाजि उठल कोनो काज नहि छै एहि समस्या का समाधान तकैत छी।
अनमोल बाजल मॉ उठ चल एक टा जगह देखवैत छियौ, फ्लैट स बाहर आयल ओटो केलक दू किलोमीटर पर एक टा राम जी के मंदिर छलै,आ बगल मे बड़का पार्क । अनमोल कहलकै एत प्रतिदिन रामायण के पाठ तीन स चारि होई छै,तकर बाद पार्क चलि आ दू घंटा एत बैस रंग बिरंग के लोक सभ के देखिहें, दू चारि दिन में अपने संगी भ जेतौ अदिति त छ बजे चलि अवैत अछि हमर कोनो ठेकाने नहि अछि,मुदा आब तोरा कोनो काज नहि करै के छौऊ।
शीला के दिनचर्या बदलि गेलैन्ह,धीया पुता के विदा कर घर ठीक ठाक क क शीला मंदिर आ पार्क जाय लगलि।एक दिन अनायास मंदिर मे एक आदमी पर नजरिए पडलै खिचड़ी केश आ बढल दाढ़ी मोछ,शीला अकान लागलि ओहो व्यक्ति शीला दिस एक टक देख रहल छल,आई रामायण मे फूलवारी मे सीता क भेंट राम स भेलैन्ह,प्रकरण चलि रहल छल,प्रवचन कखन खत्म भेलै दूनू नहि बुझि सकल।
जखन सभ श्रोता चलि गेल त पुरूष पुछलखिन,आहॉ शीला छी?
शीला आहॉ जीतेन्द्र छी?
हॉ हम जीतेन्द्र छी,एत कत?
दूनू उठि पार्क दिस विदा भ गेला, पार्क मेअंत में बेंच पर बैसल नेबो बला चाय पिवैत जाइत गेला।
शीला कहू कै के टा बाल बच्चा अछि? की करैत अछि? पत्नी कत छथि?
जीतेन्द्र मंद मंद मुस्काइत एके टा उत्तर देलकै हम अविवाहित छी।
शीला के बकोर लागि गेलै।
जीतेन्द्र पुछलकै जे आहॉ के?
शीला आद्योपांत सभटा कथा कह लगलि आंखि स दहो बहो नोर बहि रहल छल। जीतेन्द्र रूमाल निकालि क नोर साफ करैत बाजल विवाह क क आहॉ दुःखी छी नहि क क त हम सहजहि दुःखी छी।
जीतेन्द्र इनकमटैक्स कमीश्नर भ गेल छल खुश सुन्दर एक टा बंगला छलै, ओ शीला के आग्रह केलकै जे बंगला पर चलू,शीला नहि नहि कहि सकलि।
जीतेन्द्र के ड्राइवर गाड़ी लक ऐलै ,आई बीस वर्ष स ओ जीतेन्द्र के गाड़ी चला रहल छल पहिल दिन साहेब संगे कोनो महिला के देखने छल।
पछिला सीट पर शीला और जीतेन्द्र दूनू बैसल,कनि काल में बंगला पर पहुंचल। शीला जहिना भीतर गेल ओकरा चक विदोर लागि गेलै,शीला के मैट्रीक के एडमिट कार्ड वला फोटो पैघ करा क
पॉचो कोठरी आ हाॅल मे टांग छलै,नौकर चाकर सभ मुदा घर त घरवाली के लक होइत छैक।सभ समान जै तैं राखल ।
समय भगेलै साढ़े छः अदिति फ्लैट पर आयल पहिल दिन एहन भेलै जे मॉ नहि छल,अशुभ अंदेशा स कोढ़ काॅप लगलै,फोन लगौलक, शीला तुरंत फोन उठेलक कहलकै एक् टा परिचित भेंट गेल सुनके संग गप्प में समय के ध्यान नहि रहल, जीतेन्द्र फोन लैत कहलकै बेटा बहुत दिन पर भेंट भेल अछि एहि पता पर अनमोल आ आहॉ चलि आऊ रात्रि में सभ कियो संगे खाना खैव काल्हि त रवि छैहे।पता हम ह्वाटस एप क दैत छी।
आधा घंटा में दूनू भाई बहिन पता पर पहुंच गेल जीतेन्द्र और शीला के अतीत सुनि चारू खूव कानल।
जीतेन्द्र खाना के आडर क देलकै। अनमोल आ अदिति कैम्पस में टहलै के बहाने निकलल अदिति कहलकै आई जीवन में मॉ के उन्मुक्त भ क हॅसैत देखलियै अछि, कतेक कष्ट सहि क हमरा सभ के लायक बनेलक।
अनमोल गुमे रहल। परात रवि छलै अनमोल एकटा होटल बुक केलक, विभाग के बडका बड़का पदाधिकारी आ संगी साथी सभ के पार्टी के नाम पर निमंत्रित केलक,डी यू के कुलपति आ आदिति के मित्र सभ सेहो निमंत्रित भेला।
संध्या काल स्टेज स अनमोल धोषणा केलक जे आई छीब्बीस वर्ष की बाद हमरा आ अदिति के ” पिता” भेटला,हमर मॉ के पति और इनकमटैक्स कमीश्नर जीतेन्द्र जी के पत्नी भेटल छैन्ह,ताहि उपलक्ष्य में आजुक आयोजन थिक। शीला आ जीतेन्द्र जी के खिस्सा संक्षेप में कहलक,।
सभ अतिथि गण अनमोल क एहि काज के मुक्त कंठ से प्रशंसा करैत रहल, पुलिस कमिश्नर स्टेज पर आवि क घोषणा केलैन्ह,जे अनमोल क,एहि अनमोल काज लेल आऊट आप टर्न हिनकर प्रोन्नति के अनुशंसा करव।एहि उपलक्ष पर दिल्ली पुलिस विभाग के उपहार मानल जाऊ।
शीला जीतेन्द्र एक दोसर के देख रहल छल आ होटल बाला गाना बजा देलकै
“दो सितारों का जमीन पर है मिलन आज की रात…….”
समाप्त
हमर प्रोफाइल मे तीनू किस्त अछि पढू।
आशुतोष झा
01/07/2021

Language: Maithili
435 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
Taj Mohammad
खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
Ashok deep
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
Sandeep Kumar
💐प्रेम कौतुक-263💐
💐प्रेम कौतुक-263💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जब जलियांवाला काण्ड हुआ
जब जलियांवाला काण्ड हुआ
Satish Srijan
■ रोचक यात्रा वृत्तांत :-
■ रोचक यात्रा वृत्तांत :-
*Author प्रणय प्रभात*
दिल्ली चलें सब साथ
दिल्ली चलें सब साथ
नूरफातिमा खातून नूरी
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
Ranjeet kumar patre
" सुर्ख़ गुलाब "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
" न जाने क्या है जीवन में "
Chunnu Lal Gupta
अच्छा ही हुआ कि तुमने धोखा दे  दिया......
अच्छा ही हुआ कि तुमने धोखा दे दिया......
Rakesh Singh
बाल चुभे तो पत्नी बरसेगी बन गोला/आकर्षण से मार कांच का दिल है भामा
बाल चुभे तो पत्नी बरसेगी बन गोला/आकर्षण से मार कांच का दिल है भामा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ये मेरा हिंदुस्तान
ये मेरा हिंदुस्तान
Mamta Rani
नेता पक रहा है
नेता पक रहा है
Sanjay ' शून्य'
Desires are not made to be forgotten,
Desires are not made to be forgotten,
Sakshi Tripathi
शुभ को छोड़ लाभ पर
शुभ को छोड़ लाभ पर
Dr. Kishan tandon kranti
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
Shiv kumar Barman
तूफान सी लहरें मेरे अंदर है बहुत
तूफान सी लहरें मेरे अंदर है बहुत
कवि दीपक बवेजा
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
भारत वर्ष (शक्ति छन्द)
भारत वर्ष (शक्ति छन्द)
नाथ सोनांचली
कचनार
कचनार
Mohan Pandey
सत्य कहाँ ?
सत्य कहाँ ?
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
2827. *पूर्णिका*
2827. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खवाब
खवाब
Swami Ganganiya
*पुष्प-मित्र रमेश कुमार जैन की कविताऍं*
*पुष्प-मित्र रमेश कुमार जैन की कविताऍं*
Ravi Prakash
आजा कान्हा मैं कब से पुकारूँ तुझे।
आजा कान्हा मैं कब से पुकारूँ तुझे।
Neelam Sharma
तरस रहा हर काश्तकार
तरस रहा हर काश्तकार
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
भूरा और कालू
भूरा और कालू
Vishnu Prasad 'panchotiya'
राखी का कर्ज
राखी का कर्ज
Mukesh Kumar Sonkar
प्रेम पाना,नियति है..
प्रेम पाना,नियति है..
पूर्वार्थ
Loading...