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18 Oct 2021 · 3 min read

पिता। 01

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शीला आ जितेन्द्र समवायस एकहि कक्षा मे पढैत छल। दून मे प्रगाढ मित्रता छल,दूनू पढ़ाई मे सेहो कुशाग्र छल,मैट्रीक दूनू प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण भेल।जितेन्द्र आगू पढ़वा लय शहर गेल,शीला स्थानीय स्तर पर पढ़ लागलि।शीला के पिता के पुस्तैनी मकान छलैन्ह जखन की जितेंद्र क पिता जीवन बीमा निगम मे कार्यरत छला आ किराया के मकान में रहैत छलाह।तातिल मे जितेंद्र आवै छल,दूनू ऐतेक समय बीच क घटना एक दोसर के कहै,नहि जानि इ मित्रता कहिया आसक्ति मे परिवर्तित भगेलै।
एक दोसर के इ आकर्षण नीक लागै, अगिला तातिल मे जितेन्द्र आयल त दू दू टा खुशखबरी छलै ओकरा लग पहिल विश्वविद्यालय मे स्नातकोतर अंग्रेजी मे स्वर्ण पदक भेटल छलैक दोसर स्टाफ सलेक्सन प्रतियोगिता परीक्षा उत्तीर्ण केलक और इनकमटैक्स इन्सपेक्टर मे चुनायल छल। आयल मुहल्ला मे मधुर बॉटलक ,संध्या काल मधुर लक शीला ओत गेल,शीला के माता पिता के प्रणाम केलक , जितेन्द्र क सफलता पर ओकर पिता खूव प्रशंसा केलखिन।साहस क कऽ जितेन्द्र शीला स विवाह के प्रस्ताव देलकैन्ह, शीला क पिता कऽ क्रोध सातम आसमान पर चढि गेल,सभ खुशी तिरोहित भगेल, निष्ठुरता पूर्वक प्रस्ताव के ठुकरावैत कहलखिन जे आहॉ सोचलौं कोना? हम सभ उच्च जाति के छी,आहॉ सभ न्यून जाति क।एहि विचार के तत्क्षण त्यागिदिय।
जितेन्द्र पराते चलि गेल,इम्हर शीला विवाह योग्य भगेली इ भान शीला के पिता के भेलैन्ह ओ एक्टा धनाढ्य परिवार में शीला के विवाह एसगरूआ भाई लड़का स ठीक क देलखिन। पारिवारिक मर्यादा का रक्षार्थ निमुधन धेनु जेकॉ शीला खूंटा स बन्हागेली।
नव घर,नव लोक,नव नव आहार व्यवहार,में शीला अपना के ढार लगली, सास ससुर के व्यवहार नीक छलैन्ह मुदा पति मे ओ सभ गुण छलैन्ह,जे बिगड़ल शहजाद में हेवा के चाही।
मुदा किस्मत मानि समझौता करैत निर्वाह कर लगलि, शीला क विवाह ज़िन्दगी क सुख नहि बस उपभोग क वस्तु बनि क रहि गेलि।
शीला गर्भवती भेली ,सास ससुर के काफी खुशी भेलैन्ह,मुदा शील के मातृत्व पयवाक प्रसन्नता नहि छलैन्ह।
ओहि दिन दुर्भाग्य वली छल ,पति दारू क मद में मदांध भेल आयल छला,शीला कहलखिन जे आब बाप बनव इ सभ छोडू,
आवै बला लेल सोचू मुदा चोर सुनय धर्म क बात,ओ अत्यंत क्रोधित होइत शीला पर हाथ उठा देलखिन,पढल लिखल शीला बजलि हम अहॉ क पत्नी छी,हमरा पर हाथ उठेवाक आहॉ के अधिकार नहि अछि।मुदा जैसी हो भवतव्यता तैसी मिली सहाय,आप ना जय ताहि तहॉ ताहि तहॉ ले जाय,दारू अपन रूप देखव लागल,शीला के कुटाई होम लागल,सास ससुर के बौध लागि गेलैन्ह।शीला के मुॅह स खून बह लगलै, शीला स्वयं के अपमानित महसूस करैत,मन मे निश्चय केलि अपन जेवर आ साड़ी लेलि आ विदा भ गेलि, पति देव थाकि क निभेर भ सुतल छला। शीला सीधा महिला थाना पहुॅचलि,महिला थानाध्यक्ष क नींद मे खलल पडलैन्ह,ओ खौंझाइत बजलि पति पत्नी मे त इ सभ होइते छैक काल्हि नशा उतरतै सभ ठीक भ जायत,शीला बजलि आहॉ हमर शिकायत लिखूं नहि तो हम एस.पी’ साहेब ओत जाइत छी।
थानाध्यक्ष बडबडाइत बजलि दू अक्षर पढि की लै छै छौंड़ी सभ अपना के बैरिस्टरे बुझ लागैत अछि ,शिकायत लिख लगलि,शीला थाने पर बैसलि रहलि जे एखन रात्रि मे कत जायव?थानाध्यक्ष जा क सूतल आरोपी के गिरफ्तार क थाना आनि हाजत मे बंद कर देलैन्ह।
हाजत कभीतर पति,आ बाहर पत्नी बस एक दोसर के टुकुर टुकुर देखि रहल छल।
क्रमशः
दू किस्त और हैत।
पाठक कऽटिप्पणी पर शेष तैं अपने क टिप्पणी आवश्यक।
आशुतोष झा
01/8/2021

Language: Maithili
449 Views
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