Jul 18, 2024
Jul 18, 2024
Dr Arun Kumar shastri
विषय – संकल्प
स्वच्छंद काव्य
शीर्षक _ पढ़कर अच्छा लगा
तुमने कहा – लिख कर भी जताया ।
मेरे मन को ढांढस बंधाया, संकल्प से
सब कुछ सम्भव है।
तुम कर लोगे अब तक भी तो करते ही आए असंभव को संभव।
एक बार जब कोई संकल्प कर लेता है ,
उसका आत्मविश्वास सजग हो जाता है।
फिर नहीं रहता संशय कुछ भी सब कुछ ।
संकल्पित हो जाता है, पहला कदम जहां उठ जाता है ।
समझो पूरा जहां मिल गया।
हां -हां तुम कर लोगे अब तक भी तो करते आए हो ।
उस मित्र ने मुझे जब ये लिख कर भेजा और बताया।
मेरा विश्वास जो हिल रहा था स्थिरता में आया।
मैं और मेरा संकल्प लेकर विश्वास ,
चल पड़ा असम्भव को सम्भव बनाने ।
बात छोटी सी है और प्रभाव दूरगामी।
गिरे हुए का सहारा कमज़ोर को समर्पित शक्ति अनजानी ।
बातें सुनकर आपने स्वयं महसूस की होगी ये महिमा द्रुतगामी ।
यूं ही नहीं हमारे बुजुर्ग कहा करते होंगे ।
संघर्ष करो संग – संग संकल्प करो ,
कर्त्तव्य पूरा करो निष्ठा मत छोड़ो।
ऐसे संस्कार दिए हैं जिसके कारण हर कार्य आ जाता करना ।
कौन आया है मां के पेट से सीख कर यही होता सब सीखना ?