Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2022 · 1 min read

I could still touch your soul every time it rains.

When the dark forest echoed by the hooting of owls,
The memories did whistle, it whispers, and sometimes it howls.
The sky had been illuminated by the crash of thunder,
Your fragrance had still filled my nostrils. What a wonder!
The leaves tumbled to the ground and would slowly fade to black and die,
You lost to the darkness, but your presence wasn’t leaving me. I didn’t understand why.
I ran faster enough to outrun this emptiness spreading inside,
But, it stuck with me like a stubborn and determined guide.
It also happened when some days were better than others,
And the canvas of life showed various different colors.
The heart started to believe, finally, It had gotten rid of the anxious moments,
And, the memories would not sneek up without my consent.
The wind smiled at my naiveness and let the cloud’s conspiracy restart.
Because it knew longing sank its hooks deep in my heart.
Even you had long been to ashes when engulfed in flames,
I could still touch your soul every time it rains.

4 Likes · 3 Comments · 395 Views
Books from Manisha Manjari
View all

You may also like these posts

चल आज फिर मुझसे कुछ बात कर।
चल आज फिर मुझसे कुछ बात कर।
Jyoti Roshni
जब कभी तुम्हारा बेटा ज़बा हों, तो उसे बताना ज़रूर
जब कभी तुम्हारा बेटा ज़बा हों, तो उसे बताना ज़रूर
The_dk_poetry
चिरैया (कविता)
चिरैया (कविता)
Indu Singh
" सीमा "
Dr. Kishan tandon kranti
चले बिना पाँव झूठ कितना,
चले बिना पाँव झूठ कितना,
Dr Archana Gupta
झलक जिंदगी
झलक जिंदगी
पूर्वार्थ
■ शर्मनाक सच्चाई….
■ शर्मनाक सच्चाई….
*प्रणय*
तेरी सारी बलाएं मैं अपने सर लेंलूं
तेरी सारी बलाएं मैं अपने सर लेंलूं
Rekha khichi
23/113.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/113.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Staring blankly at the empty chair,
Staring blankly at the empty chair,
Chaahat
तपकर
तपकर
manjula chauhan
सौंदर्य मां वसुधा की🙏
सौंदर्य मां वसुधा की🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Rashmi Sanjay
कुण्डलिया
कुण्डलिया
अवध किशोर 'अवधू'
ସାଧନାରେ କାମନା ବିନାଶ
ସାଧନାରେ କାମନା ବିନାଶ
Bidyadhar Mantry
मुझे तारे पसंद हैं
मुझे तारे पसंद हैं
ruby kumari
ऐसा लगता है कि शोक सभा में, नकली आँसू बहा रहे हैं
ऐसा लगता है कि शोक सभा में, नकली आँसू बहा रहे हैं
Shweta Soni
ये हल्का-हल्का दर्द है
ये हल्का-हल्का दर्द है
डॉ. दीपक बवेजा
प्रेरणा
प्रेरणा
Shyam Sundar Subramanian
यूँ ही नही लुभाता,
यूँ ही नही लुभाता,
हिमांशु Kulshrestha
" मन भी लगे बवाली "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
*आया संवत विक्रमी,आया नूतन वर्ष (कुंडलिया)*
*आया संवत विक्रमी,आया नूतन वर्ष (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
खुद को सम्हाल ,भैया खुद को सम्हाल
खुद को सम्हाल ,भैया खुद को सम्हाल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मेरी खामोशी
मेरी खामोशी
Sudhir srivastava
दिल में तेरी तस्वीर को सजा रखा है -
दिल में तेरी तस्वीर को सजा रखा है -
bharat gehlot
बेरोजगार युवाओं का दर्द।
बेरोजगार युवाओं का दर्द।
Abhishek Soni
लिखा नहीं था नसीब में, अपना मिलन
लिखा नहीं था नसीब में, अपना मिलन
gurudeenverma198
*********आजादी की कीमत***********
*********आजादी की कीमत***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
डी. के. निवातिया
Loading...