ग़ज़ल
आज नहीं तो कल निकलेगा।
हर मुश्किल का हल निकलेगा।
ठान लिया गर मन में अपने,
मरुथल से भी जल निकलेगा।
अधजल गगरी छलकत जिनकी,
उनका सूरज ढल निकलेगा।
नेकी कर दरिया में डालो,
सब कर्मों का फल निकलेगा।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे,
किन्तु स्वयं में छल निकलेगा।
स्वच्छ रहे परिवेश अगर यह,
घर घर गंगाजल निकलेगा।
कर लो इच्छा शक्ति प्रबल सब,
चक्र समय का चल निकलेगा।
पंकज शर्मा “परिंदा”