हे इंदिरा ! तुम्हारी बड़ी याद आई ..
आज इंदिरा तुम्हारी बड़ी याद आई ,
मेरे मन मस्तिष्क तुम्हारी ही कही हुई
आखिरी बात दोहराई ।
तुम्हारे अंतिम शब्द थे मेरे जाने के बाद ,
मेरे खून का एक एक कतरा देश के काम आएगा ,
इस देश को मजबूत बनाएगा ।
तुम्हारा ही खून था राजीव जिसने पूरे ,
देश को जोड़कर रखा ।
अपनी मधुर मुस्कान और कर्तव्य निष्ठा से ,
पक्ष और विपक्ष सबका दिल जीता।
तुम्हारे अधूरे सपनों को जिसने पूरा किया ।
मगर तुम्हारे खून के खून ने सब नष्ट कर दिया।
कांग्रेस की प्रतिष्ठा, देश की सुरक्षा ,
और उसका सम्मान सब नष्ट कर दिया ।
माफ करना ! वो न तुम्हारी तरह बुद्धिमान ,
और शक्तिशाली निकला न राजीव की ही
तरह नेक और भला मानस निकला ।
जिस पाकिस्तान को तुमने रखा जूते की नोक पर ,
उससे यह राहुल और इसकी कांग्रेस हाथ मिलाए।
जिस आतंकवाद को तुमने खत्म करने में अपनी ,
जान गंवाई ।
उसे यह अपनी छत्र छाया में रख बढ़ावा दिया ।
अब तुम्हीं बताओ ! कैसे इनपर भरोसा करें हम ?
कैसे देश का कर्ण धार इसे बनाए हम ?
बोलो इंदिरा ! ऐसे में क्या करें हम ?