Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Nov 2021 · 3 min read

सौतेली मां

सौतेली मां।
आज श्यामानंद को मधुवन से अगुआ देखने आए हुए हैं। श्यामानंद विधुर और दो बच्चे के पिता हैं। दोनों बच्चे बड़े ही मासूम और सुंदर है। देखने वाले देखते ही रह जाते हैं।
लड़की के पिता भोला प्रसाद दोनोें बच्चों को देखते ही मोहित हो गए।भोला प्रसाद बोले-कितने सुंदर बच्चे हैं। जैसे-राम-लक्ष्मण हों। मेरी बेटी के लिए तो राम-लक्ष्मण बेटे पहले से ही तैयार है। मैं अपनी बेटी उर्मिला की शादी श्यामानंद बाबू से ही करूंगा।
श्यामानंद बाबू के पिता जी ने अपनी पुतोहु की मौत के बारे में बताया-छोटे पोते के जन्म के दो ढाई महीने बाद डायरिया से मेरी पुतोहु दुनिया से अचानक विदा हो गयी। और कहते कहते आंखों से आंसू पोंछने लगे।
भोला प्रसाद बोले-कामेश्वर बाबू।हानि-लाभ, जीवन-मरण और यश-अपयश विधि के हाथ में है।आप दुःखी न हो। और अब श्यामानंद बाबू की शादी के बारे में बताये।
कामेश्वर बाबू बोले-भोला बाबू, आप ही बताइए कि हमलोग लड़की देखने कब आये।
भोला बाबू बोले-अगले रविवार कोआपलोग मेरे यहां आये।
कामेश्वर बाबू रविवार को अपने भाइयों और मित्र सहित पांच व्यक्ति मधुवन सुबह दस बजे पहुंच गए। भोला बाबू आगत लोगों को जोरदार स्वागत किया।
लड़की उर्मिला को सभी लोगों ने पसंद की स्वीकृति दिया। फिर एक महीने बाद विवाह का दिन तय किया।
‌‌‌‌‌तय दिन पर श्यामानंद और उर्मिला की शादी हो गई।
शादी से लौटते समय गाड़ी में लोग सौतेली मां को लेकर बराती बात करते रहे। सौतेली मां अपने सौतेले बच्चों को बड़ी तकलीफ़ देती है। कुछ उदाहरण भी देते हैं। जब कैकेई राम के नहीं हुई तो भला कौन होगी?आदि आदि।
सिकुड़ी सिमटी दुल्हन उर्मिला भी सुन रही थी। वो सुनकर आश्चर्यचकित और दुखी भी हो रही थी।
मैं शादी से पहले ही दो बच्चों की मां बन गई। और ये सब क्या क्या मैं सुन रहीं हूं। जिसमें मेरी कोई गलती भी नहीं है। मुफ्त में बदनाम भी हो रही हूं।ओफ।हे भगवान्।
दुल्हन उर्मिला ससुराल पहुंच गई। शादी की रश्म पूरी की जा रही है। और कुछ औरतें सौतेली मां की बुराइयां भी कर रही है। बुराइयां करने में कुछ सौतेली मां भी है। औरत भी विचित्र जीव है।उसे अपनी ही शिकायत करने में भी मजा आता है।
औरत औरत की ही दुश्मन होती है।
रात में श्यामानंद ने अपनी नयी नबेली दुल्हन को बताया-उर्मिला गाड़ी में बराती और ससुराल की औरतें की सौतेली मां की कथाओं पर दुखी होने की जरूरत नहीं है। समाज को अच्छा को बुरा और बुरा को अच्छा कहने की आदत है। हमें यह तय करना है कि अच्छा क्या है? और बुरा क्या है? हमे अपना कर्तव्य निभाना है।
अब दोनों बच्चे पढ़ने की उम्र का हो गया है। श्यामानंद रामपुर, मधुबनी के एक वित्त रहित कालेज में पढ़ाते हैं। प्राइवेट टिउशन के पैसे और घर के चावल-दाल से गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे हैं।वे सपरिवार रामपुर में ही रहते हैं। बच्चों के नाम उसी कालेज में पढ़ाने वाले साथी के प्राइवेट स्कूल में लिखा देते हैं। बच्चे वहीं पढ़ने लगते हैं।
श्यामानंद सौभाग्यवश बीपीएससी परीक्षा पास करने के बाद सरकारी विद्यालय में शिक्षक की नौकरी पाने में सफल हो जाते हैं। बच्चों की पढ़ाई जारी रहती है।
उर्मिला भी सिलाई कढ़ाई करती हैं। और बच्चों की पढ़ाई में मदद करती है। बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं रखती है। हर दुःख में दुखी और हर सुख में सुखी रहती हैं। अंजान लोग नहीं जान पाते हैं कि उर्मिला सौतेली मां है। सौतेली मां का कोई प्रसंग नहीं सुनना चाहती हैं।
आज उर्मिला बहुत खुश है। आज दोनों बेटे उच्च पद पर आसीन हैं ।
उर्मिला को दो और बच्चे हैं जो अभी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
अब लोग कहते हैं अपनी मां से भी बढ़कर होती है सौतेली मां।

स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।

रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

Language: Hindi
809 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दूर हमसे वो जब से जाने लगे हैंं ।
दूर हमसे वो जब से जाने लगे हैंं ।
Anil chobisa
होली आई रे
होली आई रे
Mukesh Kumar Sonkar
ये  भी  क्या  कमाल  हो  गया
ये भी क्या कमाल हो गया
shabina. Naaz
कुछ नमी अपने
कुछ नमी अपने
Dr fauzia Naseem shad
वक़्त का आईना
वक़्त का आईना
Shekhar Chandra Mitra
*
*"जहां भी देखूं नजर आते हो तुम"*
Shashi kala vyas
नव वर्ष
नव वर्ष
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
फ़लसफ़े - दीपक नीलपदम्
फ़लसफ़े - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
क्यों न्यौतें दुख असीम
क्यों न्यौतें दुख असीम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कुछ लोगो का दिल जीत लिया आकर इस बरसात ने
कुछ लोगो का दिल जीत लिया आकर इस बरसात ने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हाइकु शतक (हाइकु संग्रह)
हाइकु शतक (हाइकु संग्रह)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बरसात
बरसात
Bodhisatva kastooriya
एक अदद इंसान हूं
एक अदद इंसान हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
राम राम सिया राम
राम राम सिया राम
नेताम आर सी
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
■ क्यों करते हैं टाइम खोटा, आपस में मौसेर्रे भाई??
■ क्यों करते हैं टाइम खोटा, आपस में मौसेर्रे भाई??
*Author प्रणय प्रभात*
आखिर वो माँ थी
आखिर वो माँ थी
Dr. Kishan tandon kranti
जलाओ प्यार के दीपक खिलाओ फूल चाहत के
जलाओ प्यार के दीपक खिलाओ फूल चाहत के
आर.एस. 'प्रीतम'
हे प्रभु !
हे प्रभु !
Shubham Pandey (S P)
*गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा (गीत)*
*गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा (गीत)*
Ravi Prakash
भाग्य प्रबल हो जायेगा
भाग्य प्रबल हो जायेगा
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रात चाहें अंधेरों के आलम से गुजरी हो
रात चाहें अंधेरों के आलम से गुजरी हो
कवि दीपक बवेजा
क्या वैसी हो सच में तुम
क्या वैसी हो सच में तुम
gurudeenverma198
💐प्रेम कौतुक-188💐
💐प्रेम कौतुक-188💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
23/34.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/34.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
(24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद
(24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद
Kishore Nigam
सपने
सपने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सावन
सावन
Ambika Garg *लाड़ो*
गांव की बात निराली
गांव की बात निराली
जगदीश लववंशी
जो हैं आज अपनें..
जो हैं आज अपनें..
Srishty Bansal
Loading...