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7 Dec 2021 · 1 min read

सूक्तियाँ

भाग्य अपेक्षित कर्मविहीन इच्छाओं ,अभिलाषाओं की परिणति निराशाजनक होती है,
कर्म प्रधान जीवन चक्र निर्मित प्रारब्ध की अनुभूति आशाजनक होती है ,
भाग्य जीवन की बिसात पर बिछी हुई माया प्रधान ध्यूत क्रीडा है ,
प्रारब्ध यथार्थ के धरातल पर लिखी हुई कर्म प्रधान जीवन लीला है ,

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 152 Views
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