Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Dec 2020 · 2 min read

सुनो स्त्री!

सुनो स्त्री!
आधी आबादी! तुम इस धरती पर आधी आबादी की पूर्ण स्वामिनी हो। जब तुम अपने आप में बहुत कुछ संपूर्ण श्रेष्ठ हो, खुद को कमजोर क्यों समझती हो। तुम प्रेम की पराकाष्ठा हो, तुम स्वयं दुर्गा की शक्ति वाली, किसी कवि की कलात्मक अभिव्यक्ति, सौंदर्य की मूरत, प्रेम, धैर्य, त्याग जैसे गुणों की खान हो, फिर भी सहारे के लिए अपना सिर रखने के लिए किसी के कंधे क्यों तलाशती रहती हो। और आजकल रोजाना फेसबुक पर नित नए पोज, स्टाइल में, सुंदर दिखने की कोशिश में फोटो अपलोड करती रहती हो, डी पी बदलती रहती हो, ये सब क्या है….. हर समय सुंदर दिखना ही जिंदगी का मकसद है क्या? हर समय क्यों चाहती हो कि सब तुम्हारे सौंदर्य की ही प्रशंसा करते रहें। सांचे में ढला शरीर, अपने गोरे रंग पर इतराना, इसमें तुम्हारा क्या योगदान है। क्या तुम्हारे अंदर आत्मविश्वास की कमी है, अगर है तो आत्मविश्वास को बढ़ाओ। किसी की बेटी, किसी की पत्नी, किसी की मां, गोरा रंग, सांचे में ढला शरीर, पुरुषों को आकर्षित करने के लिए सजी धजी गुड़िया बनी रहना, इसके अलावा क्या पहचान है, तुम्हारी इस समाज में। अपने किरदार को कुछ ऐसा बनाओ, अपने अंदर कुछ ऐसा पैदा करो कि तुम अपना परिचय अपने नाम से दो। यह धरती, यह आसमान, सबके लिए समान रूप से धूप हवा पानी देती है, तुम क्यों भेदभाव करती हो? इस आबादी को पोषण देने हैं या शोषण करने में भी तुम्हारा बराबर का योगदान है, गेंद दूसरे पाले में फेंक देने से बात नहीं बनेगी। रोना गिड़गिड़ाना बंद करो, जब आप दूसरे को दोष दे रहे होते हैं, तब कहीं ना कहीं अपनी कमियों को भी छुपा रहे होते हैं। ईश्वर ने तो सबको समान रूप से सक्षम बना कर भेजा है, फिर तुम क्यों भेद भाव रखती हो। या तुम भी इसी को भाग्य मान कर चल रही हो। स्वयं को कमजोर, बेचारी साबित कर सहानुभूति बटोरना भी एक बीमारी ही है, और तुम्हें बीमार नहीं रहना है …. ऑफिस में सहयोगी हो या बॉस की बदतमीजियां, या घर पर शादी के बाद पति को ढंग से जान भी नहीं पाती हो और उस के मुंह से शराब के भभके तथा पीठ पर पड़ने वाले लात, घूंसों का मुकाबला तुम्हें और सिर्फ तुम्हें ही करना है। ससुराल को यातना गृह मत बनने दो। दूसरों के वाक् बाणों से स्वयं को छलनी मत होने दो। उठो ओ स्त्री! आधी आबादी! तुम कहां किसी से कम हो, बराबरी वाली दुनिया में तुम हर चीज में श्रेष्ठ हो। बस अपने भूले हुए स्वरूप को याद करने की जरूरत है।
_____मनु वाशिष्ठ

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 2 Comments · 252 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manu Vashistha
View all
You may also like:
मेरे स्वयं पर प्रयोग
मेरे स्वयं पर प्रयोग
Ms.Ankit Halke jha
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हर इंसान लगाता दांव
हर इंसान लगाता दांव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
उठो, जागो, बढ़े चलो बंधु...( स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनके दिए गए उत्प्रेरक मंत्र से प्रेरित होकर लिखा गया मेरा स्वरचित गीत)
उठो, जागो, बढ़े चलो बंधु...( स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनके दिए गए उत्प्रेरक मंत्र से प्रेरित होकर लिखा गया मेरा स्वरचित गीत)
डॉ.सीमा अग्रवाल
प्रणय 10
प्रणय 10
Ankita Patel
रास्ते फूँक -फूँककर चलता  है
रास्ते फूँक -फूँककर चलता है
Anil Mishra Prahari
*शाही दरवाजों की उपयोगिता (हास्य व्यंग्य)*
*शाही दरवाजों की उपयोगिता (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
"कविता और प्रेम"
Dr. Kishan tandon kranti
उस दर्द की बारिश मे मै कतरा कतरा बह गया
उस दर्द की बारिश मे मै कतरा कतरा बह गया
'अशांत' शेखर
सफलता
सफलता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मी ठू ( मैं हूँ ना )
मी ठू ( मैं हूँ ना )
Mahender Singh Manu
मेरी दुनिया उजाड़ कर मुझसे वो दूर जाने लगा
मेरी दुनिया उजाड़ कर मुझसे वो दूर जाने लगा
कृष्णकांत गुर्जर
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
Surinder blackpen
बढ़ी हैं दूरियां दिल की भले हम पास बैठे हैं।
बढ़ी हैं दूरियां दिल की भले हम पास बैठे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
चाय - दोस्ती
चाय - दोस्ती
Kanchan Khanna
रूप तुम्हारा,  सच्चा सोना
रूप तुम्हारा, सच्चा सोना
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हिंदी दोहा शब्द- घटना
हिंदी दोहा शब्द- घटना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जब इंस्पेक्टर ने प्रेमचंद से कहा- तुम बड़े मग़रूर हो..
जब इंस्पेक्टर ने प्रेमचंद से कहा- तुम बड़े मग़रूर हो..
Shubham Pandey (S P)
आज कल लोगों के दिल
आज कल लोगों के दिल
Satish Srijan
*मैं भी कवि*
*मैं भी कवि*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
.
.
Amulyaa Ratan
■ मौसमी दोहा
■ मौसमी दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
अंधभक्ति
अंधभक्ति
मनोज कर्ण
मेरी बेटी है, मेरा वारिस।
मेरी बेटी है, मेरा वारिस।
लक्ष्मी सिंह
अपने अच्छे कर्मों से अपने व्यक्तित्व को हम इतना निखार लें कि
अपने अच्छे कर्मों से अपने व्यक्तित्व को हम इतना निखार लें कि
Paras Nath Jha
आईना ही बता पाए
आईना ही बता पाए
goutam shaw
भूखे पेट न सोए कोई ।
भूखे पेट न सोए कोई ।
Buddha Prakash
हमारी जान तिरंगा, हमारी शान तिरंगा
हमारी जान तिरंगा, हमारी शान तिरंगा
gurudeenverma198
वृक्ष किसी को
वृक्ष किसी को
DrLakshman Jha Parimal
हमारे जीवन की सभी समस्याओं की वजह सिर्फ दो शब्द है:—
हमारे जीवन की सभी समस्याओं की वजह सिर्फ दो शब्द है:—
पूर्वार्थ
Loading...