Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2021 · 2 min read

सियालदह जयनगर की यात्रा

कविता :- 5(15) हिन्दी

-: सियालदह जयनगर की यात्रा । :-

सियालदह जयनगर गंगासागर की यात्रा ,
मिथिला घूमने के लिए नहीं देखनी पड़ती है पतरा ।

सियालदह में 13185 गंगासागर एक्सप्रेस पर बैठी ,
विधाननगर, दमदम, होते हुए आ गये नैहाटी ।

नैहाटी में देखें एक छोटा सा गैस सिलेंडर ,
आ गये गरीफा होते हुए हुगली, गंगा नदी पार बैण्डेल ।

बैण्डेल में हुई खान पान ,
आ गये हावड़ा मेन लाइन होते हुए बर्द्धमान ।

बर्द्धमान के लोकल ट्रेन से होते गये दूर ,
न जाने कैसे एक ही बार में पहुंच गए दुर्गापुर ।

दुर्गापुर में हम रोशन पूछे समोसा का मोल ,
खाते – खाते रानीगंज होते हुए आ गये आसनसोल ।

गांव जाने की उल्लास से होंठों पर मुस्कान ली ,
उसके बाद आ गई जे.सी.डी ‌।

जे.सी.डी में खरीदें बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए फूल ,
इस तरह आ गये मधुपुर ‌।

मधुपुर में हमको बोला गया राजा ,
इस तरह हम झा आ गये झाझा ‌।

झाझा किऊल में लगी हमारी कविता की परीक्षा होनी ,
सिमरिया घाट, राजेन्द्र पुल कवि दिनकर जी के गांव
होते हुए हम आ गये बरौनी ।

बरौनी से घर रहा न दूर ,
आ गये समस्तीपुर ।

समस्तीपुर में झाड़े पेन्ट और अंगा ,
आ गये अपना मिथिला के दरभंगा ।

दरभंगा में देखें पेड़ पौधा और बकरी ,
आ गये सकरी ।

सकरी में मुलाक़ात हुआ वह आदमी रहा धनी ,
विश्व में मशहूर है अपना पेंटिंग ,आ गये पण्डौल
होते हुए हम मधुबनी ।

मधुबनी से भी जा सकते रहे अपना घर ,
लेकिन चल गये हम राजनगर ।

राजनगर में हम पीये न शराब , पीये जल ,
आ गये खजौली होते हुए हम सियालदह से जयनगर ।

मधुबनी में गये मुंह हाथ धोने गंगासागर घाट पर ,
बस पकड़े कुछ ही देर में उतार दिया हमको लोहा हाट पर ।

लोहा में रिक्शावाला को बोले चलो जी ,
पहुंचा दिया हम को अपना गांव झोंझी ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
मो :- 6290640716 ,
12-03-2018 सोमवार :-5(14)

Language: Hindi
384 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुछ लोग किरदार ऐसा लाजवाब रखते हैं।
कुछ लोग किरदार ऐसा लाजवाब रखते हैं।
Surinder blackpen
मंज़िल को पाने के लिए साथ
मंज़िल को पाने के लिए साथ
DrLakshman Jha Parimal
Der se hi magar, dastak jarur dena,
Der se hi magar, dastak jarur dena,
Sakshi Tripathi
तुम चंद्रछवि मृगनयनी हो, तुम ही तो स्वर्ग की रंभा हो,
तुम चंद्रछवि मृगनयनी हो, तुम ही तो स्वर्ग की रंभा हो,
SPK Sachin Lodhi
"नए पुराने नाम"
Dr. Kishan tandon kranti
*नासमझ*
*नासमझ*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
రామయ్య రామయ్య
రామయ్య రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
यही समय है!
यही समय है!
Saransh Singh 'Priyam'
दोहा ग़ज़ल (गीतिका)
दोहा ग़ज़ल (गीतिका)
Subhash Singhai
रमेशराज के हास्य बालगीत
रमेशराज के हास्य बालगीत
कवि रमेशराज
सच समाज में प्रवासी है
सच समाज में प्रवासी है
Dr MusafiR BaithA
3152.*पूर्णिका*
3152.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*** कभी-कभी.....!!! ***
*** कभी-कभी.....!!! ***
VEDANTA PATEL
💐प्रेम कौतुक-445💐
💐प्रेम कौतुक-445💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जबसे उनको रकीब माना है।
जबसे उनको रकीब माना है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
#हिंदी-
#हिंदी-
*Author प्रणय प्रभात*
लगा ले कोई भी रंग हमसें छुपने को
लगा ले कोई भी रंग हमसें छुपने को
Sonu sugandh
सत्य से विलग न ईश्वर है
सत्य से विलग न ईश्वर है
Udaya Narayan Singh
इन फूलों से सीख ले मुस्कुराना
इन फूलों से सीख ले मुस्कुराना
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
देखी देखा कवि बन गया।
देखी देखा कवि बन गया।
Satish Srijan
हिंदी है पहचान
हिंदी है पहचान
Seema gupta,Alwar
*बड़े लोगों का रहता, रिश्वतों से मेल का जीवन (मुक्तक)*
*बड़े लोगों का रहता, रिश्वतों से मेल का जीवन (मुक्तक)*
Ravi Prakash
If you do things the same way you've always done them, you'l
If you do things the same way you've always done them, you'l
Vipin Singh
गल्तफ़हमी है की जहाँ सूना हो जाएगा,
गल्तफ़हमी है की जहाँ सूना हो जाएगा,
_सुलेखा.
मोल
मोल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
कसास दो उस दर्द का......
कसास दो उस दर्द का......
shabina. Naaz
आसमानों को छूने की जद में निकले
आसमानों को छूने की जद में निकले
कवि दीपक बवेजा
हिंदी माता की आराधना
हिंदी माता की आराधना
ओनिका सेतिया 'अनु '
मैं और मेरा यार
मैं और मेरा यार
Radha jha
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (4)
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (4)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...