Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jul 2018 · 1 min read

सरस्वती वंदना- वीणापाणी माँ वरदानी….

“सनाई छंद”
वीणापाणी माँ वरदानी, दे सुर ताल का ज्ञान मुझे।
आन बिराजो कंठ शारदे, दे दो सुरीली तान मुझे।।

मन मंदिर में वास करो मां , मम तन निर्मल काया दे।
वाणी में माधुर्य ख़ास हो, धनधान्य रमा बन माया दे।।

मैं तेरा ही सुत हूँ माता, तेरा ही माँ मैं साधक हूँ।
शिक्षक बनके करूँ मैं सेवा, माँ तेरा ही आराधक हूँ।।

मेरी क़लम में शक्ति दे माँ, तम संहारक ये बन जाये।
अज्ञान ने जग को जकड़ रखा, जग इससे मुक्ति पा जाये।।

करूं जतन मैं अब लिखने का, माँ तेरा अब वरदान मिले।
रचे ‘कल्प’ अब रचना ऐसी, माँ जग में उसे स्थान मिले।।
✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’

Language: Hindi
Tag: गीत
274 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुझसें में क्या उम्मीद करू कोई ,ऐ खुदा
तुझसें में क्या उम्मीद करू कोई ,ऐ खुदा
Sonu sugandh
जो होता है आज ही होता है
जो होता है आज ही होता है
लक्ष्मी सिंह
मज़दूर
मज़दूर
Shekhar Chandra Mitra
कुछ लोग बात तो बहुत अच्छे कर लेते है, पर उनकी बातों में विश्
कुछ लोग बात तो बहुत अच्छे कर लेते है, पर उनकी बातों में विश्
जय लगन कुमार हैप्पी
युक्रेन और रूस ; संगीत
युक्रेन और रूस ; संगीत
कवि अनिल कुमार पँचोली
आपकी तस्वीर ( 7 of 25 )
आपकी तस्वीर ( 7 of 25 )
Kshma Urmila
जानबूझकर कभी जहर खाया नहीं जाता
जानबूझकर कभी जहर खाया नहीं जाता
सौरभ पाण्डेय
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
3086.*पूर्णिका*
3086.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सफर
सफर
Arti Bhadauria
■ बधाई
■ बधाई
*Author प्रणय प्रभात*
बिधवा के पियार!
बिधवा के पियार!
Acharya Rama Nand Mandal
माई कहाँ बा
माई कहाँ बा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उठो, जागो, बढ़े चलो बंधु...( स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनके दिए गए उत्प्रेरक मंत्र से प्रेरित होकर लिखा गया मेरा स्वरचित गीत)
उठो, जागो, बढ़े चलो बंधु...( स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनके दिए गए उत्प्रेरक मंत्र से प्रेरित होकर लिखा गया मेरा स्वरचित गीत)
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक पत्नी अपने पति को तन मन धन बड़ी सहजता से सौंप देती है देत
एक पत्नी अपने पति को तन मन धन बड़ी सहजता से सौंप देती है देत
Annu Gurjar
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
फूल फूल और फूल
फूल फूल और फूल
SATPAL CHAUHAN
प्यार की कलियुगी परिभाषा
प्यार की कलियुगी परिभाषा
Mamta Singh Devaa
तुम इन हसीनाओं से
तुम इन हसीनाओं से
gurudeenverma198
गुरू द्वारा प्राप्त ज्ञान के अनुसार जीना ही वास्तविक गुरू दक
गुरू द्वारा प्राप्त ज्ञान के अनुसार जीना ही वास्तविक गुरू दक
SHASHANK TRIVEDI
राजनीति
राजनीति
Dr. Pradeep Kumar Sharma
करवाचौथ
करवाचौथ
Satish Srijan
"व्याख्या-विहीन"
Dr. Kishan tandon kranti
जीता जग सारा मैंने
जीता जग सारा मैंने
Suryakant Dwivedi
फ़ानी
फ़ानी
Shyam Sundar Subramanian
बसंत बहार
बसंत बहार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
ज़माने   को   समझ   बैठा,  बड़ा   ही  खूबसूरत है,
ज़माने को समझ बैठा, बड़ा ही खूबसूरत है,
संजीव शुक्ल 'सचिन'
चाहता है जो
चाहता है जो
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
💐प्रेम कौतुक-477💐
💐प्रेम कौतुक-477💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
Manisha Manjari
Loading...