Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2021 · 2 min read

समय चक्र और जीवन सफर !

माता के गर्भ से,
प्रारंभ हो गया, जो
जीवन का सफर,
और फिर,
एक निर्धारित समय पर,
आ गये हम धरती मां की गोद पर,
तिल तिल कर,
कब बड़े हो गए,
यह पता ही नहीं चला।

पहले पहल,
हाथ पैर,
हिले डुले,
फिर हुंकारे भरने लगे,
धीरे धीरे से फिर हमने,
अलटना पलटना शुरू किया,
अगली कड़ी में,
तब हमने,
घुटनों के बल पर,
घिसट कर चलना,
शुरू किया,
अब बैठने का उपक्रम,
आरंभ हुआ,
फिर हाथ पैर के सहारे,
खड़े होने का उत्क्रम हुआ,
इस दौर को भी जब हमने,
सफलता से पा लिया,
तब जाकर के हमने,
गिरते पड़ते चलना शुरु किया।

यह क्रम यों ही चलता रहा,
अगला पड़ाव तब हमने छू लिया,
अब तो हम दौड़ने भी लगे,
कभी कभार गिरते भी रहे,
कुछ देर तक रो भी लिए,
इधर उधर देख कर,
जब कोई मदद गार नहीं आया, तो
तब स्वंय ही प्रयास किया,
उठ खड़े हुए और चलना शुरु किया,
फिर से दौड़ भी लगाई,
और मन की मुराद पूरी कर के,
थक हार कर सुस्ता लिए।

यह क्रम फिर कभी थमा नहीं,
बचपन आया,
और चला गया,
तरुणाई आई,
और गई,
यौवन की दहलीज में प्रवेश किया,
और यहीं से फिर शुरु हुआ,
घर गृहस्थी का जीवन चक्र,
पूरे मनोयोग से इसका भी सामना किया,
बच्चों का पालन-पोषण ,
शिक्षा और प्रशिक्षण,
जरुरत के मुताबिक,
अपनी सामर्थ्य के हिसाब से,
निर्वहन करता रहा,
जिसे अपना धर्म समझ कर पूरा किया, लेकिन
वह तो अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह था,।

यह निर्वहन तब तक चलता रहा,
जब तक कि बच्चों ने,
घर गृहस्थी में प्रवेश किया,
अब उनकी अपनी गृहस्थी है,
और हमारी अपनी हस्ती है,
उन पर वही सब कुछ करने का भाव बोध है,
हम बुजुर्गो की अपनी सोच है,
और अपना कल्पना लोक ,
कैसे हम अपने लोक परलोक को सुधारें,
कैसे अपने किए हुए को बिसारें,
इन्ही मकड़ जाल में हैं फंसे हुए,
गिन रहे हैं गिनती।

अब तो हम,
हैं कितने दिन के,
अब शेष बचे हुए हैं कितने दिन,
समय चक्र ने हमें यहां तक तो,
हमको,पहुंचा दिया,
समय चक्र चलता रहा,
सब कुछ हमारे ही सम्मुख है घटा,
और हमें कुछ पता ना चला,
शिशु से लेकर बुजुर्ग तक का, अब
यह जीवन चक्र पूरा हो रहा,
विधि के विधान के अनुसार,
शायद यही है जीवन का सार।

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 438 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
जंगल, जल और ज़मीन
जंगल, जल और ज़मीन
Shekhar Chandra Mitra
आसाध्य वीना का सार
आसाध्य वीना का सार
Utkarsh Dubey “Kokil”
दर्द ए दिल बयां करु किससे,
दर्द ए दिल बयां करु किससे,
Radha jha
*कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)*
*कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)*
Ravi Prakash
प्रकृति का प्रकोप
प्रकृति का प्रकोप
Kanchan verma
हृद्-कामना....
हृद्-कामना....
डॉ.सीमा अग्रवाल
दूर क्षितिज के पार
दूर क्षितिज के पार
लक्ष्मी सिंह
हँसते गाते हुए
हँसते गाते हुए
Shweta Soni
चुनिंदा अश'आर
चुनिंदा अश'आर
Dr fauzia Naseem shad
" ख्वाबों का सफर "
Pushpraj Anant
मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
फ़र्क़ यह नहीं पड़ता
फ़र्क़ यह नहीं पड़ता
Anand Kumar
तू मेरे सपनो का राजा तू मेरी दिल जान है
तू मेरे सपनो का राजा तू मेरी दिल जान है
कृष्णकांत गुर्जर
मैने प्रेम,मौहब्बत,नफरत और अदावत की ग़ज़ल लिखी, कुछ आशार लिखे
मैने प्रेम,मौहब्बत,नफरत और अदावत की ग़ज़ल लिखी, कुछ आशार लिखे
Bodhisatva kastooriya
Moti ki bhi ajib kahani se , jisne bnaya isko uska koi mole
Moti ki bhi ajib kahani se , jisne bnaya isko uska koi mole
Sakshi Tripathi
आदमी की गाथा
आदमी की गाथा
कृष्ण मलिक अम्बाला
करवाचौथ
करवाचौथ
Neeraj Agarwal
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
Atul "Krishn"
3-“ये प्रेम कोई बाधा तो नहीं “
3-“ये प्रेम कोई बाधा तो नहीं “
Dilip Kumar
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
दोहे
दोहे
सत्य कुमार प्रेमी
"अनाज"
Dr. Kishan tandon kranti
💐अज्ञात के प्रति-38💐
💐अज्ञात के प्रति-38💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
::बेवफा::
::बेवफा::
MSW Sunil SainiCENA
प्यार ~ व्यापार
प्यार ~ व्यापार
The_dk_poetry
महाराणा सांगा
महाराणा सांगा
Ajay Shekhavat
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
23/84.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/84.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अरमान
अरमान
अखिलेश 'अखिल'
Loading...