Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Dec 2021 · 5 min read

श्रंगार के वियोगी कवि श्री मुन्नू लाल शर्मा और उनकी पुस्तक ” जिंदगी के मोड़ पर ” : एक अध्ययन

श्रंगार के वियोगी कवि श्री मुन्नू लाल शर्मा और उनकी पुस्तक ” जिंदगी के मोड़ पर ” : एक अध्ययन
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
श्री मुन्नू लाल शर्मा रामपुर के प्रतिभाशाली कवि थे । आप की एकमात्र पुस्तक “जिंदगी के मोड़ पर” उपलब्ध है। इस पुस्तक का प्रकाशन प्रथम संस्करण जुलाई 1971 का है लेकिन इसी पुस्तक में प्रसिद्ध कवि मथुरा निवासी श्री राजेश दीक्षित का भूमिका स्वरूप शुभकामना संदेश 19 अगस्त 1969 का प्रकाशित है । राजेश दीक्षित जी लिखते हैं :-“भाई मुन्नू लाल जी के गीत संकलन जिंदगी के मोड़ पर को आद्योपांत पढ़ने के उपरांत में इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि इनमें न केवल अंतः स्थल को स्पर्श करने का अद्भुत गुण है अपितु इन्हें जितनी बार पढ़ा जाए उतनी ही तीव्र अनुभूति एवं रस का उद्वेग होता है । मुझे विश्वास है कि हिंदी जगत द्वारा इन गीतों को पर्याप्त स्नेह एवं सम्मान दिया जाएगा।”
वास्तव में अपनी प्रतिभा से कविवर मुन्नू लाल शर्मा ने अपने गीतों को समाज तथा साहित्य में एक स्थान सम्मान सहित दिलाया भी । आप गीतकार के रूप में रामपुर में जाने जाते थे तथा आपकी प्रतिभा का जनता के बीच गहरा आदर भाव था ।
” जिंदगी के मोड़ पर “पुस्तक में आपका परिचय दिया गया है । इसके अनुसार आप की जन्म तिथि 7 जुलाई 1931है। आप अपने माता पिता के इकलौते पुत्र थे । आपने अलीगढ़ विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा प्राप्त की। परिचय कर्ता श्री राजेंद्र गुप्ता एम. ए .के अनुसार “आप एकाकी हैं। केवल घूमना ही आपके जीवन की शांति है। आपके जीवन में न कोई अपना और न पराया । अनुभूति इन की मनोदशा का दर्पण है और कविता कामिनी इनकी जीवनसाथी ”
इस संक्षिप्त परिचय के उपरांत हम श्री मुन्नू लाल शर्मा की पुस्तक “जिंदगी के मोड़ पर” दृष्टिपात करते हैं जो 76 पृष्ठ की है तथा प्रमुखता से श्रंगार के वियोग पक्ष को प्रतिबिंबित कर रही है । गीत संग्रह का प्रथम पृष्ठ और प्रथम पंक्ति बेहद दर्द भरी है और ध्यान आकृष्ट करने में समर्थ है । गीतकार ने लिखा है:-
दर्दीले हैं गीत ,हमारी आँख नशीली है
फिर प्रष्ठ 2 में गीतकार लिखता है:-
हर गम मुझसे दूर है
दिल मस्ती में चूर है
दुनिया वालों इसीलिए तो मेरा नाम मशहूर है
अंगूरी का जाम है
मयखाने की शाम है
सुरा सुंदरी का पीना मेरा पहला दस्तूर है
पृष्ठ 3 पर तीसरा गीत है जिसके बोल हैं :-
रस्ते रस्ते चरन मिलेंगे नयनो से अभिनंदन कर लो
यहाँ आकर पाठकों को यह लग सकता है कि गीतकार का संबंध केवल सुरा और सुंदरी तक सीमित है ,लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। गीतकार मुन्नू लाल शर्मा श्रंगार के बहाने दार्शनिक भावों में विचरण करते हैं और केवल शरीर के आकर्षण में ही नहीं रुकते । वह शरीर की नश्वरता को भी भलीभाँति समझ कर पाठकों को समझाते हैं। पंक्तियाँ देखिए:-
मान गरब जिस पर इतना है
वह माटी की मनहर काया
राख चिता में जलकर होगी
जिससे इतना नेहा बढ़ाया ( पृष्ठ 3 )
पृष्ठ 12 पर एक गीत के बोल हैं :-
जो तुम पर बदनामी धर दें, ऐसे गीत नहीं गाऊँगा
गीत में वियोग में डूबा कवि लिखता है:-
कितनी बार मिला है मुझको
पंच तत्व का यह सुंदर तन
किंतु तुम्हारे कारण ही है
मुझको जन्म मरण का बंधन
मेरे जनम जनम के साथी ,अब की बार नहीं आऊँगा
कवि के जीवन में गहरी पीड़ा के दंश हैं और वह उसके काव्य में मुखरित भी हो रहे हैं। एक गीत पर निगाह डालिए:-
मेरा क्या मैं आशुतोष हूँ
मैंने हँसकर जहर पिया है
जिसमें कलाकार मरता है
उस मुहूर्त में जनम लिया है (पृष्ठ 15)
गीतकार को ज्योतिष का भी अच्छा ज्ञान था और उसने उसका उपयोग अपने गीत में अपनी दुर्भाग्यपूर्ण दशा को उजागर करने में भली-भाँति किया है । इसमें संभवतः उसने अपनी समूची जन्मकुंडली ही गीत के माध्यम से आँसुओं के मोतियों को पिरो कर मानो प्रस्तुत कर दी हो । पृष्ठ 26 पर गीत के इन पदों को पढ़ना बहुत मार्मिक है :-
अर्धरात्रि के शुभ मुहूर्त में
तुला लग्न चंद्रमा जनम का
सुंदर रूप कुरूप हो गया
हर शुभ अशुभ हुआ हर क्रम का

ऐसे मिले शुक्र शनि गुरु बुध
पूर्ण प्रवज्या योग बन गया
राजा को कर दिया भिखारी
राजयोग भी जोग बन गया
गीतकार की अंतर्वेदना में वियोग पक्ष अत्यंत प्रबल है । इसीलिए उसने इस वेदना को जी भर कर गाया है और इसी वेदना में उसे जीवन की संपूर्णता भी जान पड़ती है। इसीलिए तो वह वेदना में डूब कर भी प्रसन्न होकर मानो कह उठता है :-
हमने ऐसा प्यार किया है ,अपनी भरी जवानी दे दी (पृष्ठ 43)
कवि वास्तव में बहुत ऊँचे दार्शनिक धरातल पर खड़ा हो चुका है । वह अहम् ब्रह्मास्मि के स्तर पर आसीन होकर कहता है:-
आज नहीं तो कल यह दुनिया ,हम क्या हैं हमको जानेगी ( पृष्ठ 48)
वियोग को ही अपने जीवन की शाश्वत नियति मानकर कवि ने यह पंक्तियाँ लिख दीं:-
मत माँगो सिंदूर ,प्रेम का बंधन रो देगा (पृष्ठ 67)
गीत संग्रह में श्री मुन्नू लाल शर्मा का एक ऐसा स्वरूप प्रकट हो रहा है जिसमें वह पूर्णता के साथ स्वयं को अस्त – व्यस्त स्थिति में प्रस्तुत कर रहे हैं । इसका थोड़ा – सा आभास हमें कवि के आत्म निवेदन से भी पता चल रहा है । कवि ने लिखा है:-” गीत के संबंध में यही कहता रहा हूँ क्रंदन था संगीत बन गया ।”
गीत संग्रह के संदर्भ में कवि की यह पंक्तियाँ बहुत महत्वपूर्ण हो चली हैं । कवि ने लिखा है “अधिकतर प्रकाशित होने वाले गीत संग्रह के कवि न तो वियोगी ही हैं और न गीत आह से उपजे हुए गान हैं, न शैले के सेडेस्ट थॉट्स “…..कविवर मुन्नू लाल शर्मा के गीत इसलिए प्रभावी बन गए हैं क्योंकि वह वास्तव में एक कवि के आह से उपजे हुए गान हैं । यह दुख में डूबे हुए विचार हैं और वास्तव में इनका कवि वियोग में डूबी हुई जिंदगी को जीता रहा है ।
अपने जीवन के आखिरी वर्षों में श्री मुन्नू लाल शर्मा रामपुर की सड़कों पर बहुत अस्त – व्यस्त स्थिति में घूमते हुए देखे जा सकते थे। उन्हें देखकर कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता था कि यह कवि और गीतकार इतने ऊँचे दर्जे के गीतों का रचयिता रहा होगा। उनके हाथ में एक थैलिया जैसी कोई वस्तु रहती थी। संभवतः उसमें उनके जीवन की सारी साधना सिमटी हुई रही होगी । फिर यह क्रम शायद कई वर्ष तक चला । उसके बाद मुन्नू लाल शर्मा जी का कुछ पता नहीं चला।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
समीक्षक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

887 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
आधा - आधा
आधा - आधा
Shaily
*नहीं पूनम में मिलता, न अमावस रात काली में (मुक्तक) *
*नहीं पूनम में मिलता, न अमावस रात काली में (मुक्तक) *
Ravi Prakash
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
--कहाँ खो गया ज़माना अब--
--कहाँ खो गया ज़माना अब--
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
****प्रेम सागर****
****प्रेम सागर****
Kavita Chouhan
खिंचता है मन क्यों
खिंचता है मन क्यों
Shalini Mishra Tiwari
गांव की याद
गांव की याद
Punam Pande
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
Ritu Asooja
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इस जीवन के मधुर क्षणों का
इस जीवन के मधुर क्षणों का
Shweta Soni
" मुझमें फिर से बहार न आयेगी "
Aarti sirsat
अधूरेपन की बात अब मुझसे न कीजिए,
अधूरेपन की बात अब मुझसे न कीजिए,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
वट सावित्री
वट सावित्री
लक्ष्मी सिंह
2505.पूर्णिका
2505.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कैसे लिखूं
कैसे लिखूं
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
माता के नौ रूप
माता के नौ रूप
Dr. Sunita Singh
......मंजिल का रास्ता....
......मंजिल का रास्ता....
Naushaba Suriya
दोस्ती में हर ग़म को भूल जाते हैं।
दोस्ती में हर ग़म को भूल जाते हैं।
Phool gufran
💐प्रेम कौतुक-252💐
💐प्रेम कौतुक-252💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है
हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है
अरशद रसूल बदायूंनी
"सदियाँ गुजर गई"
Dr. Kishan tandon kranti
किस किस्से का जिक्र
किस किस्से का जिक्र
Bodhisatva kastooriya
रिमझिम बरसो
रिमझिम बरसो
surenderpal vaidya
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
पूर्वार्थ
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
खुल के सच को अगर कहा जाए
खुल के सच को अगर कहा जाए
Dr fauzia Naseem shad
राग दरबारी
राग दरबारी
Shekhar Chandra Mitra
बचपन में थे सवा शेर जो
बचपन में थे सवा शेर जो
VINOD CHAUHAN
सबसे मुश्किल होता है, मृदुभाषी मगर दुष्ट–स्वार्थी लोगों से न
सबसे मुश्किल होता है, मृदुभाषी मगर दुष्ट–स्वार्थी लोगों से न
Dr MusafiR BaithA
और कितनें पन्ने गम के लिख रखे है साँवरे
और कितनें पन्ने गम के लिख रखे है साँवरे
Sonu sugandh
Loading...