शीर्षक:प्रेमधुन
विषय:प्रेमधुन
प्रेम धुन बजाओ बांसुरी से कान्हा
दरस दो अब तो मुझे आकर कान्हा
घायल कर जाओ नैनो के तीर से
आओ दरस दो मैं प्यासी दीदार को तेरे
इन्तजार कान्हा तेरा आठो पहर मुझे
घायल कर जाओ बांसुरी की धुन से
प्रेम धुन बजाओ बांसुरी से कान्हा
दरस दो अब तो मुझे आकर कान्हा
मैं व्याकुल तेरी सांवली सलोनी सूरत के दीदार को
आके दिखा जा अपना अप्रितम रूप मुझे
तेरी मोहनी मूरत दिल में बसी हैं मेरे
दरस दिखा जा मुझ बावरी को एक बार
प्रेम धुन बजाओ बांसुरी से कान्हा
दरस दो अब तो मुझे आकर कान्हा
माखन खाने आओ मेरी मटकी से एक बार
पनघट पर मिलो तो बस एक बार
आओ मधुबन में रास रचने एक बार
तुझसे ही हर जन्म करूँ प्यार मैं बार बार
प्रेम धुन बजाओ बांसुरी से कान्हा
दरस दो अब तो मुझे आकर कान्हा
मैं बावरी सी भटकूँ तेरे दरस को प्यारे
आकर अपनी प्यारी को नेह दे जाओ
याद जाती नही एक पल भी
क्यो मुझे यूँ तड़फा रहे हो प्यारे
प्रेम धुन बजाओ बांसुरी से कान्हा
दरस दो अब तो मुझे आकर कान्हा
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद