Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Nov 2021 · 1 min read

शीत ऋतु

उल्लाला छंद
मात्रा भार 13-13
अंत गुरु।

शरद ऋतु चहूं छा रही, दुबक रहे लोग घर में।
हिम भरी वायु बह रही, ठिठुरन बढ़ रही जग में।

नभ नगर दूधिया हुआ, धवल सुनहरे जलधर से।
रिमझिम की झंकार से, बरसे स्वर्णिम मनहर से।

उमड़- घुमड़ बादल घिरे, गरजते जोर- शोर से।
कहीं लपकती चपल दामिनी, देख धरा को गौर से।

शीत पवन नित बह रही , चुभती शूल समान है।
भानु देव भी छुप रहे, मेघ घूमे जहान में।

धवल हुई गिरी चोटियां, फूटती झरने धारा।
रंग सुनहरा हो रहा, जब करता घन किनारा।

शीत हुआ वन बाग भी, उपवन भी चुपचाप है।
नदियां धीमी पड़ गई, जग का घटता ताप है।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश।

Language: Hindi
329 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कहू किया आइ रूसल छी ,  कोनो कि बात भ गेल की ?
कहू किया आइ रूसल छी , कोनो कि बात भ गेल की ?
DrLakshman Jha Parimal
मुकद्दर
मुकद्दर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
उत्थान राष्ट्र का
उत्थान राष्ट्र का
Er. Sanjay Shrivastava
मुस्कुरा ना सका आखिरी लम्हों में
मुस्कुरा ना सका आखिरी लम्हों में
Kunal Prashant
हार हमने नहीं मानी है
हार हमने नहीं मानी है
संजय कुमार संजू
धनतेरस
धनतेरस
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
शक्कर की माटी
शक्कर की माटी
विजय कुमार नामदेव
हमें उससे नहीं कोई गिला भी
हमें उससे नहीं कोई गिला भी
Irshad Aatif
गीत// कितने महंगे बोल तुम्हारे !
गीत// कितने महंगे बोल तुम्हारे !
Shiva Awasthi
गीत गाऊ
गीत गाऊ
Kushal Patel
वाणी और पाणी का उपयोग संभल कर करना चाहिए...
वाणी और पाणी का उपयोग संभल कर करना चाहिए...
Radhakishan R. Mundhra
एक प्रयास अपने लिए भी
एक प्रयास अपने लिए भी
Dr fauzia Naseem shad
भारत मां की लाज रखो तुम देश के सर का ताज बनो
भारत मां की लाज रखो तुम देश के सर का ताज बनो
कवि दीपक बवेजा
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
माथे की बिंदिया
माथे की बिंदिया
Pankaj Bindas
*सखी री, राखी कौ दिन आयौ!*
*सखी री, राखी कौ दिन आयौ!*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"बिल्ली कहती म्याऊँ"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ढ़ांचा एक सा
ढ़ांचा एक सा
Pratibha Pandey
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
छोटे गाँव का लड़का था मैं
छोटे गाँव का लड़का था मैं
The_dk_poetry
द्रुत विलम्बित छंद (गणतंत्रता दिवस)-'प्यासा
द्रुत विलम्बित छंद (गणतंत्रता दिवस)-'प्यासा"
Vijay kumar Pandey
साधु की दो बातें
साधु की दो बातें
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जाती नहीं है क्यों, तेरी याद दिल से
जाती नहीं है क्यों, तेरी याद दिल से
gurudeenverma198
आजाद पंछी
आजाद पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
त्यौहार
त्यौहार
Mukesh Kumar Sonkar
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
Rj Anand Prajapati
*दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)*
*दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)*
Ravi Prakash
सोच
सोच
Shyam Sundar Subramanian
तृष्णा के अम्बर यहाँ,
तृष्णा के अम्बर यहाँ,
sushil sarna
Loading...